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जोहार’ शब्द से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शुरू हुआ संबोधन

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत ‘जोहार’ शब्द से की. साथ ही बिरसा मुंडा और संताल विद्रोह का भी जिक्र किया. उन्होंने संबोधित करते हुए कहा जोहार ! नमस्कार ! मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं. आपकी आत्मीयता, विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे.
आदिवासी समाज में ‘जोहार’ शब्द है अहम
झारखंड की राज्यपाल रह चुकी द्रौपदी मुर्मू ने संबोधन की शुरुआत जोहार, नमस्कार से की है. साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में भगवान बिरसा और संताल विद्रोह का भी जिक्र किया. आदिवासी समाज में जोहार शब्द काफी महत्वपूर्ण होता है. जोहार शब्द का इस्तेमाल आम बोलचाल में नमस्कार शब्द की तरह किया जाता है. आदिवासियों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाला जोहार शब्द ऑस्ट्रो-एशियन भाषा परिवार से ताल्लुक रखता है.
भाई की दी हुई खास संताली साड़ी में ली शपथ
देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खास तरह की साड़ी में शपथ ली है. उन्होंने जिस साड़ी को पहन कर शपथ ग्रहण किया, उसे पारंपरिक संताली साड़ी कहा जाता है. यह साड़ी उनकी भाभी सुकरी टुडू लेकर दिल्ली गयी हुई थी. इस साड़ी को पूर्वी संताल समुदाय की महिलाओं द्वारा पहना जाता है.
शपथ से पहले बापू को किया नमन
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले राजघाट स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर सोमवार सुबह पुष्पांजलि अर्पित की. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में मुर्मू को देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में सोमवार को शपथ कराई. शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 21 तोपों की सलामी दी गई और फिर इसके बाद उन्होंने संबोधित किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति का भी है संदेश
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संदेश में कहा कि एक आदिवासी महिला का राष्ट्रपति जैसे पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रमाण है. मुर्मू का निर्वाचन इस बात का प्रमाण है कि जन्म नहीं, व्यक्ति के प्रयास उसकी नियति तय करते हैं.

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