IAS सीके अनिल की पटना और दिल्ली में तलाश, कई अहम सबूत ढूंढ़ नहीं पायी है SIT
अपराध, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार March 3, 2017 , by ख़बरें आप तकबीएसएससी पेपर लीक में आयोग के अध्यक्ष व सचिव के बाद अब ओएसडी सीके अनिल की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है. एसआइटी दिल्ली व पटना में उन्हें तलाश कर रही है. उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ आ रहा है. दो-तीन दिन पहले उनका लाेकेशन बिहार के बाहर मिला था. सूत्रों का कहना है कि वह दिल्ली गये थे. लेकिन, इसके बाद उनका लोकेशन नहीं मिला है. अभी वह पटना में हैं या दिल्ली में, इसकी जानकारी नहीं हो सकी है. पर, सूत्रों की मानें, तो एसआइटी की एक टीम उनकी तलाश में दिल्ली गयी हुई है. इस कवायद के बीच कई सवाल अब तक स्पष्ट नहीं हो पाये हैं.
जिस आनन-फानन में अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी हुई है, उनके खिलाफ भी कोई ठोस सबूत एसआइटी नहीं जुटा पायी है. इस मामले में शहर के अगमकुआं थाने में एफआइआर संख्या 44/17 और शाहपुर थाने में 19/17 दर्ज की गयी है. अगमकुआं थाने में दर्ज एफआइआर के आधार पर ही बीएसएससी के अध्यक्ष और सचिव को अप्राथमिक अभियुक्त के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. फिर भी इस मामले में नामजद अभियुक्तों के साथ अध्यक्ष और सचिव के आपसी संबंध किसी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाये हैं.
अब तक नहीं मिले हैं इन सवालों के जवाब
बीएसएससी पेपर लीक मामले में एसआइटी बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार, सचिव परमेश्वर राम समेत लगभग 34 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर चुकी है. लेकिन, अब तक कोई स्पष्ट और ठोस सबूत नहीं जुटा पायी है.
– प्रश्नपत्र लीक करनेवाले और इसे बेचनेवाले कौन-कौन हैं. पूरे मामले में कितने का और कैसे लेन-देन हुआ?
– लेन-देन की रकम की कहीं से कोई बरामदगी नहीं हुई है. किस सरगना के खाते में अंत में ये पैसे ट्रांसफर हुए, इसका भी कोई जानकारी नहीं है.
– अगमकुआं थाने में दर्ज एफआइआर में नामजद पवन, विपिन, नवनीत, गोरेलाल व भोला का अध्यक्ष सुधीर कुमार के साथ संबंध कैसे जुड़ता है?
– बीएसएससी अध्यक्ष और सचिव के बीच प्रश्नपत्र लीक या पैसे के लेन-देन में किस तरह का संबंध हुआ? अगर डील हुई, तो कितने में हुई?
– अध्यक्ष के लिंक या संबंध एवीएन स्कूल के मालिक रामाशीष राय और वारिसलीगंज के सरगना गौरीशंकर शर्मा से किस तरह से है? इन दोनों को किसने प्रश्नपत्र दिये?
– अगर सुधीर कुमार के स्तर से प्रश्नपत्र लीक हुआ है, तो वह कैसे और किसके पास सबसे पहले पहुंचा? फिर वहां से इतने सारे स्थानों पर एक साथ कैसे सर्कुलेट हो गया?
– अगर सुधीर कुमार या उसके भांजे आशीष ने पैसे लेकर प्रश्नपत्र को बेचा है, तो ये पैसे कहां गये? कितने लोगों से कितने रुपये लिये गये?
– सुधीर कुमार ने जिस प्रिंटिंग प्रेस को प्रश्नपत्र छापने का आदेश दिया है, वह मौखिक है या लिखित? अगर लिखित है, तो जिस प्रेस को छापने का ठेका मिला, वह सही है या नहीं?
– अगर प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्नपत्र लीक हुआ, तो उसे ऐसा करने के लिए किसने और कब कहा? चारों चरणों के प्रश्नपत्र एक साथ कैसे लीक थे?
– अध्यक्ष अगर जांच में सहयोग कर रहे थे, तो आनन-फानन में उनकी गिरफ्तारी क्यों हुई?
आइएएस अधिकारियों के केंद्रीय संगठन ने की हस्तक्षेप की मांग
नयी दिल्ली : केंद्रीय आइएएस अधिकारी एसोसिएशन ने बिहार में आइएएस अधिकारियों के खिलाफ पुलिस की कथित मनमानी कार्रवाई में राज्य सरकार और केंद्र सरकार से फौरन हस्तक्षेप करने की मांग की है. देश भर में काम कर रहे 4,926 अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करनेवाले केंद्रीय आइएएस अधिकारी एसोसिएशन ने दो नौकरशाहों से जुड़े मामलों की सीबीआइ जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराये जाने की अपनी बिहार इकाई की मांग का भी समर्थन किया है.
एसोसिएशन ने एक बयान में राज्य और केंद्र दोनों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कड़ी मेहनत करने वाले, ईमानदार और गंभीर सिविल सेवकों का बिहार में पुलिस तंत्र के मनमाने और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई से मनोबल नहीं गिराया जाये. बिहार सरकार के तहत काम कर रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जितेंद्र गुप्ता और सुधीर कुमार की कथित तौर पर गलत गिरफ्तारी बाद यह कदम उठाया गया है. अपनी बिहार इकाई द्वारा रखे गये सारे तथ्यों को ध्यान से पढ़ने के बाद केंद्रीय संगठन ने उन दोनों प्रस्तावों का समर्थन करने का फैसला किया है, जिसमें इसके अधिकारियों की सुरक्षा और एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग शामिल है.
गृह सचिव ने किया एसएसपी को तलब
पेपर लीक मामले में आइएएस एसोसिएशन के विरोध के बीच गृह सचिव आमिर सुबहानी ने एसआइटी प्रमुख एसएसपी मनु महाराज के तलब किया. गृह सचिव ने उनसे पूरे मामले की जानकारी ली व मौजूदा सबूतों के बारे में विस्तृत बात की. हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई, पर सूत्रों के अनुसार यह मुलाकात खास थी और कई पहलुओं पर एसएसपीको स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया.
पेपर लीक और शिक्षा घोटाले पर सदन में बहस क्यों नहीं?
मंत्री अब्दुल जलील मस्तान के बयान को लेकर हो रहे सियासी हंगामा मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने की साजिश है. बड़े दल मिलीभगत कर बीएसएससी पेपर लीक और शिक्षा घोटाला जैसे गंभीर मुद्दों पर सदन में बहस नहीं होने दे रहे. कुछ आइएएस अधिकारी और नेताओं को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. इसका पुरजोर विरोध किया जायेगा. महबूब आलम, विधायक, भाकपा (माले)
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