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8वें दिन महागौरी की पूजा करने से दूर हो जाते हैं पाप-संताप, इस मंत्र के साथ करें पूजा

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शारदीय नवरात्र में आठवें दिन मां के महागौरी रूप की पूजा होती है. ज्योतिष डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि मां जननी का यह दिव्य रूप भक्तों के भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख जाने नहीं देते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है. मां दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. आठ वर्ष की आयु में उत्पत्ति होने के कारण नवरात्र के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. अपने भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप है. इसलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं. यह धन-वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी है.
सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्जवल,कोमल,सफेदवर्ण तथा सफेद वस्त्रधारी चतुर्भुज युक्त एक हाथ में त्रिशूल,दूसरे हाथ में डमरू लिए हुए गायन संगीत की प्रिय देवी है , जो सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार है. मां महागौरी की उत्पत्ति के संदर्भ में कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं जिससे देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं जिसकी वजह से इनका नाम गौरी पड़ा.
मां महागौरी अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं. नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी. नवरात्रि के अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। मां दुर्गा के महागौरी रूप की उपासना करने के लिए शास्त्रों में निम्न मंत्र की साधना का वर्णन है: मंत्र:- सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते”. मां,सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे,आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. हे मां,मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो.

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