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7 भारतीय फोर्ब्स एशिया की ‘दानवीरों’ की सूची में शामिल

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र्ब्स एशिया की हीरोज ऑफ फिलेंथ्रपी (परोपकार के नायक) की नौंवी सूची में सात भारतीयों को शामिल किया गया है। इस सूची में एशिया प्रशांत क्षेत्र के 13 देशों से परोपकार के लिए किए गए प्रमुख योगदानों को रेखांकित किया गया है।
इन भारतीयों में चार लोग भारत की सबसे बड़ी सूचना तकनीकी सेवा कंपनियों में से एक इंफोसिस के सहसंस्थापक हैं। केरल में जन्मे उद्यमी सनी वारके क्षेत्र के परोपकारी लोगों की सूची में शीर्ष पर हैं। उन्होंने बिल गेट्स और वारेन बफे द्वारा शुरू की गई गिविंग प्लेज (संपत्ति का एक हिस्सा कल्याणार्थ देने के संकल्प) की पहल के तहत अपनी आधी संपत्ति यानी 2.25 अरब डॉलर को कल्याणार्थ देने का संकल्प जून में लिया था।
दुबई में रहने वाले वारके जीईएमएस एजुकेशन के संस्थापक हैं। यह 14 देशों में 70 निजी स्कूलों की श्रंखला है। इंफोसिस के सहसंस्थापक सेनापति गोपालकृष्णन, नंदन नीलकेणि और एस डी शिबुलाल स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपने निजी योगदानों के चलते इस सूची में शामिल हैं।
इंफोसिस के एक अन्य सहसंस्थापक एन आर नारायणमूर्ति के बेटे रोहन का नाम भी इस सूची में है। उन्होंने भारतीय प्राचीन साहित्य को बढ़ावा देने के लिए हावर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस को 52 लाख डॉलर दिए हैं। वह एक परोपकारी व्यक्ति के रूप में अपने पिता एन आर नारायण मूर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इसके अलावा सूची में शामिल दो अन्य भारतीय सुरेश रामकृष्णन और महेश रामकृष्णन हैं। ये दोनों भाई लंदन के उद्यमी हैं और लंदन के साविले रो में विटकॉम्ब एंड शाफ्टसबरी के संस्थापक हैं। इन भाइयों ने भारत में 4000 से ज्यादा लोगों को सिलाई प्रशिक्षण दिलवाने के लिए 30 लाख डॉलर दान में दिए थे। इससे लाभांवित होने वाले लोगों में वर्ष 2004 की सुनामी के पीड़ित और दुर्भाग्य का शिकार बनी महिलाएं हैं।

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