500, 1000 के नोट बंद करने के फैसले के खिलाफ ममता के नेतृत्व में विरोध मार्च
आमने सामने, कोलकत्ता, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, दिल्ली, प्रमुख ख़बरें, बड़ी ख़बरें November 16, 2016 , by ख़बरें आप तकतृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी नोटबंदी पर नरेंद्र मोदी सरकार के विरोध का चेहरा बन गयीं. ममता बनर्जी ने हाल ही में इस मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से फोन पर बात की थी, आज उन्होंने उनसे रू-ब-रू मुलाकात कर नोटबंदी पर अपना पक्ष रखा. ममता बनर्जी की इस पूरी कवायद को न सिर्फ विपक्ष की कुछ प्रमुख पार्टियों का साथ मिला, बल्कि केंद्र सरकार में साझेदार शिवसेना भी इस मोर्चे पर ममता बनर्जी के साथ आये. ममता को बढ़त हासिल करता देख कांग्रेस भी अब इस मुद्दे पर सक्रिय हो गयी है. ममता ने आज दिन में ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के बाद लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने का एलान किया था. उनके बाद शाम में कांग्रेस ने भी नोटबंदी के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया है. विपक्षी नोटबंदी पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाकर चर्चा कराने की मांग करेंगे. साथ ही यह भी संभावना है कि खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस मुद्दे पर लोकसभा में बोल सकते हैं.
शिवसेना का ममता के साथ जाना भाजपा के लिए झटका
शिवसेना का ममता के साथ आना केंद्र सरकार का नेतृत्व करने वाली भाजपा के लिए एक झटका है. ध्यान रहे कि परसों ही एनडीए की सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया में यह खबर आयी थी कि सरकार के साथ इस मुद्दे पर एनडीए के सभी घटक दल हैं.
कांग्रेस व वाम मोर्चा ने बनायी ममता से दूरी
ममता ने वामदलों और कांग्रेस से भी मार्च में शामिल होने के लिए संपर्क किया था. हालांकि कांग्रेस और वामदलों ने सरकार के खिलाफ ममता द्वारा छेड़े गये अभियान में भाग नहीं लिया. जबकि वे भी सरकार के कदम के खिलाफ हैं.
प्रमुख विपक्षी दलों की गैर-मौजूदगी में भी ममता संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च के अपने फैसले पर कायम रहीं.
इन दलों का मिला ममता को साथ
राष्ट्रपति से मुलाकात सफल, संवैधानिक संकट की स्थिति : ममता बनर्जी
ममता ने राष्ट्रपति भवन से निकलने के बाद कहा, ‘‘राष्ट्रपति के साथ हमारी सफल बैठक रही जिसमें हमने इस मुद्दे पर बातचीत की और राष्ट्रपति ने कहा कि वह मामले को देखेंगे.’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले से उपजी स्थिति ने एक तरह का संवैधानिक संकट पैदा कर दिया है.
इस मुद्दे पर अपने अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस देगी.’ 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के बाद जनता को हो रही परेशानियों पर चिंता जताते हुए ममता ने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि सरकार से बात करें और इस पर फैसला करके देश में सामान्य स्थिति बहाल की जाए. राष्ट्रपति वित्त मंत्री रहे हैं और देश की स्थिति को किसी से भी बेहतर जानते हैं. वह उचित कार्रवाई करेंगे.’ कांग्रेस, वामपंथी दलों, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध मार्च में भाग नहीं लिया.
ज्ञापन में सरकार के नोटबंदी के निर्णय को ‘तानाशाही वाला और क्रूर कदम’ बताते हुए इसे तत्काल निलंबित करने की मांग की गयी है.
पांच पन्नों के ज्ञापन में क्या लिखा है?
पांच पन्नों के ज्ञापन में कहा गया, ‘‘हाल ही में आम जनता पर थोपी गयीं सभी तरह की पाबंदियों को हटाकर लोगों का उत्पीड़न बंद किया जाए.’ इसमें कहा गया, ‘‘सुनिश्चित किया जाए कि बाजारों में पर्याप्त मात्रा में रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं के भंडार हों.’ संसद से मार्च शुरू करने से पहले ममता ने कहा, ‘‘यह मार्च आम जनता को विपत्ति से बचाने के लिए है.’ उन्होंने कहा कि नोटों पर पाबंदी ने लोगों के घरों में सामान्य कामकाज को प्रभावित किया है क्योंकि उनके पास धन नहीं है.
शिवसेना ने दिखाया अलग रुख
हालांकि शिवसेना ने इस मुद्दे पर अलग रुख अपनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकार पुराने नोटों को स्वीकार करने की समयसीमा बढाए.
मार्च में भाग लेने वाले शिवसेना के गजानन कीर्तिकर ने कहा, ‘‘हम नोटबंदी के फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन हम इसकी वजह से जनता को हुई परेशानियों के खिलाफ हैं. हमने ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को हो रही असुविधा पर ध्यान देने के लिए अलग से एक ज्ञापन दे रहे हैं. हम चाहते हैं कि अवधि बढाई जाए.’ ममता ने यह भी कहा, ‘‘काला धन रखने वालों का समर्थन किया गया है और करदाता परेशान हो रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले से बनी स्थिति से एक तरह का संवैधानिक संकट और वित्तीय आपातकाल पैदा हो गया है.
सरकार के फैसले के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ व्यापक अभियान छेड़ने के सिलसिले में ममता ने कल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने करीब 40 मिनट तक संकट पर बात की लेकिन खबरों के मुताबिक केजरीवाल ने एक ही जगह शिवसेना के साथ आने पर आपत्ति जतायी.
हालांकि आप सांसद भगवंत मान ने मार्च में शिरकत की जिन्हें कुछ महीने पहले संसद परिसर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर डालने के मामले में निलंबित किया गया था.
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