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5 चरणों से गुजरेगा जीएसीटी, तय करना है काफी फासला

अर्थव्यवस्था, दिल्ली

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी पर अपनी मुहर लगा दी है। मगर बहुप्रतीक्षित जीएसटी के सपने को वास्तविकता के धरातल पर आने में अभी भी काफी फासला तय करना है। 1 अप्रैल, 2017 को देशभर में लागू होने से पहले इसे कई चरणों से होकर गुजरना है। 21 राज्य अपने यहां जीएसटी को पारित करा चुके हैं।
जीएसटी का रोडमैप परिषद तैयार करेगी। सबसे पहले अब इसका गठन किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर अगले सप्ताह मंत्रिमंडल की बैठक में विचार हो सकता है। इसमें सभी केंद्र व राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। फिर से संसद में पेश होगा
जीएसटी से जुड़े तीन अहम विधेयकों (केंद्रीय जीएसटी, एकीकृत जीएसटी और राज्य जीएसटी) को संसद में पेश करना होगा। स्टेट जीएसटी के लिए सभी राज्यों को अपना कानून बनाना होगा क्योंकि नए कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों कर वसूलेंगे।
जीएसटी की दर को लेकर सभी एकमत नहीं हैं। विशेषज्ञों के बीच 15.5 से 26 फीसदी के बीच दर रखने को लेकर चर्चा है। इस पर फैसला जीएसटी काउंसिल को करना है।
देशभर में एक समान टैक्स लागू करने के लिए आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी खड़ा करना बड़ी चुनौती है। इसकी जिम्मेदारी इंफोसिस को सौंपी गई है। ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क’ के अक्तूबर से काम करने की उम्मीद है।
जीएसटी लागू होने के बाद इन पर पड़ेगा असर
ऑटोमोबाइल
टैक्स की वर्तमान दरें
25-40 फीसदी से घटकर 18-20 प्रतिशत तक आने की संभावना।
टेलीकॉम
टैक्स 15 फीसदी से बढ़कर 18-20 प्रतिशत होने की संभावना। ग्राहकों पर बोझ बढ़ेगा।
ई-कॉमर्स
वैट वाले मौजूदा ढांचे में बदलाव करना होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजना भी बड़ी चुनौती। टैक्स दरें 25-30 फीसदी से घटकर 18-20 तक आने की संभावना।

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