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हिरण या सांभर और नीलगायों के उत्पात से फसलों पर आफत

कृषि / पर्यावरण, बिहार

पूरे प्रदेश में अपनी फसलों के उत्पादन के लिए रोहतास जिला मशहूर रहा है. शायद यहीं कारण है कि इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है. धान का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बाद अब यहां के किसान रबी और दलहन-तिलहन की खेती में जोर-शोर से जुट गये हैं.
वैसे तो जिले में लगभग प्रतिवर्ष इन दिनों में खेतों में नीलगाय एवं हिरणों के उत्पात से किसान परेशान रहते हैं, लेकिन इस वर्ष इनका प्रभाव कुछ ज्यादा हो रहा है. पहले जहां इनका आतंक पहाड़ी इलाकों तक ही सिमटा था. विशेष रूप से जिले के नौहट्टा, रोहतास, चेनारी, शिवसागर एवं तिलौथू प्रखंडों में ही इनका प्रभाव दिखता था. इस बार जिले के समतल क्षेत्र बिक्रमगंज अनुमंडल के संझौली, सुर्यपुरा, दावथ और अकोढ़ीगोला प्रखंडों के गांवों तक नीलगायों के आतंक से किसान परेशान हैं. हालांकि पहले जहां इस तरह के जानवरों को मारना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आता था लेकिन अब बिहार सरकार ने इसे कानून से मुक्त कर दिया है.
इस मौसम में किसानों द्वारा लगाये गये रबी फसलों, दलहन-तेलहन और साग-सब्जी के खेतों को इन जंगली जानवरों द्वारा काफी नुक्सान पहुंचाया जा रहा है. चिंता की बात है कि जानवर एक साथ बड़ी संख्या में खेतों में हमला करते हैं. एक साथ हुजूम में नीलगायों और हिरणों की फौज गेंहू, चना, मसूर सहित अन्य फसलों को रौंद दे रहे हैं. किरहिंडी के किसान कामेंद्र सिंह ने बताया कि दिन में तो खेतों की रखवाली की जा सकती है, लेकिन इतनी ठंड में रातों में खेतों की देखभाल कैसे संभव है. रामपुर के किसान ज्ञानदेव कुशवाहा का कहना है कि काले सिंग वाले हिरण या सांभर और नीलगायों से खेतों की रखवाली करने में भय भी लगता है. वहीं दरिगांव के किसान रविंद्र सिंह कहते हैं कि इन जानवरों को मारने की छूट तो सरकार ने दे दी है, लेकिन कितने किसानों के पास हथियार हैं जो वे अपने खेतों की रक्षा कर सकते हैं.

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