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हिमाचल में धुआंधार प्रचार अभियान समाप्त, मतदान नौ को, 187 उम्मीवार मैदान में

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए धुआंधार प्रचार का दौर मंगलवार को समाप्त हो गया. इस दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली. राज्य में नौ नवंबर को मतदान होना है. भाजपा ने राज्य में हालांकि प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन परोक्ष रूप से प्रचार अभियान की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही संभाली हुई थी. उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर केंद्र पर जोरदार पलटवार किया.
भाजपा के मुख्य रणनीतिकार और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं ने मुकाबले को आर-पार का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हिमाचल प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री 73 वर्षीय धूमल की कोशिश कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार वीरभद्र सिंह को रिकॉर्ड सातवीं बार सत्ता में आने से रोकने की होगी. राज्य में कांग्रेस के शीर्ष नेता 83 वर्षीय सिंह भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे हैं. साथ ही राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुखू से उनके मतभेद खुल कर सामने आ गये. सिंह सुखू को पद से हटवाना चाहते थे, लेकिन चुनाव से पहले यह मुमकिन नहीं हो सका. कांग्रेस के पुराने दिग्गज के सामने सत्ता विरोधी लहर से जूझने की चुनौती भी होगी. आंतरिक गुटबाजी से सत्ता में वापसी की कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर पड़ सकती हैं. इसके बावजूद कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के लिए वीरभद्र सिंह पर विश्वास जताया है.
गौरतलब है कि कांग्रेस हाल में कई चुनावों में हार का सामना कर चुकी है और हिमाचल में जीत से पार्टी का मनोबल बढ़ेगा. भाजपा ने राज्य में 197 रैलियां कीं और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पिछले ढाई महीने में कांग्रेस के लिए अकेले 200 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने सात, शाह ने छह, राहुल गांधी ने तीन, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने तीन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात जनसभाओं को संबोधित किया. बडसर के एक उम्मीदवार की मौत और भाजपा के एक बागी नेता के चुनाव नहीं लड़ने के कारण अब 337 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गये हैं.
उल्लेखनीय है कि केंद्र की नोटबंदी की घोषणा को एक साल पूरे होने के एक दिन बाद हिमाचल प्रदेश में मतदान होगा. कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने आठ नवंबर को काला दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की है, वहीं केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा इस दिन को कालाधन विरोधी दिवस के रुप में मनायेगी. प्रधानमंत्री मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने वीरभद्र सिंह और उनकी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्रहार किया. रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि पर्वतीय राज्य को पांच माफियाओं (खनन माफिया, वन माफिया, ड्रग माफिया, टेंडर और स्थानांतरण माफिया) से बचाने की जरूरत है.
राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओं में इस पर पलटवार करते हुए मोदी पर भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनिंदा तरीके से बात करने का आरोप लगाया. उन्होंने साथ ही सवाल किया था कि भाजपा ने जिस रोजगार की बात की थी, वो कहां है. राज्य में दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है, लेकिन वीरभद्र सिंह को विधानसभा की अपनी सीट निकालने में कोई खास मुश्किल पेश आने की संभावना नहीं है. वह अर्की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनके सामने भाजपा के रतन सिंह पाल चुनावी मैदान में हैं. राजनीतिक पंडितों की निगाहें सुजानपुर सीट पर भी लगी होंगी, जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धूमल का मुकाबला कांग्रेस के राजिंदर राणा से हो रहा है.
वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह पहली बार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. वह शिमला (ग्रामीण) क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं. मंडी सीट पर भी सभी की निगाहें लगी हुई हैं जहां सुखराम के बेटे अनिल शर्मा भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. शर्मा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गये थे. दोनों पार्टियों के करीब दर्जनभर बागी नेता भी चुनावी मैदान में हैं. राज्य विधानसभा के लिए होनेवाले चुनावों की मतगणना 18 दिसंबर को होगी. कांग्रेस और भाजपा ने सभी 68 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं. माकपा के 14 और अन्य छोटे दलों एवं निर्दलयी को मिला लिया जाये तो 187 उम्मीवार चुनाव मैदान में हैं.
नवीनतम फोटो मतदाता सूची के मुताबिक 25,68,761 पुरुष, 24,57,166 महिला और 14 अन्य (थर्ड जेंडर) सहित कुल 50,25,941 मतदाता हैं. राज्य में 7,521 मतदान केंद्र बनाये गये हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने बताया कि 40,000 पुलिस और सुरक्षाकर्मियों के अलावा अर्धसैनिक बलों की 65 कंपनियां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए राज्य में पहुंच चुकी हैं.

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