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हिंदी ठीक से बोल नहीं सकता, माफी चाहता हूं : राष्ट्रपति

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जब विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे तभी इच्छा थी कि विक्रमशिला देखने जाऊंगा. यह इच्छा आज पूरी हो गयी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां (विक्रमशिला में) केंद्रीय विश्वविद्यालय के बारे में घोषणा की थी. केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर लोगों में चाह है.
यह जायज है. इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे और यहां पर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनवायेंगे. कहलगांव के अंतीचक में सोमवार को आयोजित जनसभा में आयी भीड़ को देख खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह जानकारी नहीं थी कि इतने लोग उन्हें देखने आयेंगे. उन्हाेंने कहा कि एक जमाना था, जब नालंदा में पढ़ने-पढ़ाने के लिए विदेशों से लोग आते थे. यहां के राजाओं ने बड़े-बड़े विश्वविद्यालय बनाये.
चाहे नालंदा हो, तक्षशिला हो या फिर विक्रमशिला, इन अध्ययन केंद्रों ने लोगों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के तौर पर मुझे तक्षशिला देखने का मौका मिला. एक बार प्रस्ताव आया था कि नालंदा में कई देशों को आमंत्रित करना है. बहुत सारे देश चीन, जापान आदि के प्रतिनिधि आये. आज बहुत खुशी है कि नालंदा विश्वविद्यालय का विकास हो रहा है. वहां भारतीय पुरातत्व विभाग(एएसआइ) काम कर रहा है. जनसभा का स्वागत भाषण संतोष दुबे व समापन केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुढ़ी ने किया.
इस दौरान जिला प्रशासन ने विक्रमशिला प्रतीक चिह्न भेंट किया व इस्टर्न प्रेस क्लब की विक्रमशिला पर आधारित किताब का विमोचन हुआ. मौके पर सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल, गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, कहलगांव विधायक सदानंद सिंह, पीरपैंती विधायक रामविलास पासवान आदि मौजूद थे.
हिंदी ठीक से बोल नहीं सकता, माफी चाहता हूं
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भाषण के अंत में लोगों से कहा, अच्छा स्वागत किया, इसके लिए बधाई. गरमी बहुत है लेकिन फिर भी आपने(लोगों की तरफ इशारा करते हुए) कष्ट करके समारोह में भाग लिया. हिंदी ठीक से बोल नहीं सकता, माफी चाहता हूं.

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