Comments Off on हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद विरोधी ढांचे और क्षेत्रीय संपर्क पर जोर 7

हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद विरोधी ढांचे और क्षेत्रीय संपर्क पर जोर

ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, पंजाब, प्रमुख ख़बरें, बड़ी ख़बरें

हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के पहले दिन आतंकवाद विरोधी ढांचे, अफगानिस्तान में स्थायी शांति लाने और युद्धग्रस्त देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने जैसे मुद्दे प्रमुखता से छाए रहे। सम्मेलन में महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक ताकतें भाग ले रही हैं।
अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन में मदद के मकसद से आयोजित इस दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन की शुरुआत इस पवित्र शहर में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मध्य हुई। दोनों देश सम्मेलन से इतर किसी द्विपक्षीय संवाद में शामिल होंगे या नहीं, अभी इसको लेकर केवल कयासबाजी ही चल रही है।
यूरोपीय संघ, नाटो और शंघाई कोआपरेशन आगेर्नाइजेशन जैसे प्रमुख समूहों के साथ ही इस सम्मेलन में करीब 40 देश भाग ले रहे हैं। हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रोसेस में अफगानिस्तान के समक्ष पेश विभिन्न चुनौतियों पर विचार विमर्श किया जा रहा है जिसमें युद्धग्रस्त देश में शांति प्रक्रिया की बहाली भी शामिल है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज कल मंत्री स्तरीय सम्मेलन में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे जिसका उद्घाटन संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा किया जाएगा।
आज भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत 14 सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा 17 समर्थक देशों के प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के समक्ष मौजूद विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया जिनमें पेचीदा सुरक्षा परिदृश्य तथा आतंकवाद, कट्टरपंथ एवं चरमपंथ के खतरों से निपटने के तरीकों पर चर्चा शामिल थी।
बैठक में अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद विरोधी क्षेत्रीय ढांचे के विचार पर बल दिया जिसमें सदस्य देशों पर यह बाध्यकारी प्रतिबद्धता डालने की बात कही गई है कि वे आतंकवादी तंत्र से प्रभावी तरीके से निपटें।
अफगानिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग का भी दौरा किया। सम्मेलन से पूर्व, भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद को क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया। दोनों देश कल की बैठक में आतंकवाद विरोधी ढांचे को अपनाए जाने पर पूरा जोर लगाने के लिए तैयार हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों की आज की बैठक में दक्षिण तथा मध्य एशियाई देशों के साथ अफगानिस्तान का संपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई ने की। बैठक में मंत्री स्तरीय सम्मेलन के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया और साथ ही इसके घोषणापत्र पर भी विचार विमर्श हुआ जिसमें आतंकवाद संबंधी हिस्से पर विशेष ध्यान रहेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित द्विपक्षीय वार्ता पर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है।
भारत पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह सीमा पार से आतंकवाद जारी रहने को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नई सामान्य बात स्वीकार नहीं करेगा । साथ ही भारत स्पष्ट कर चुका है कि आतंकवाद जारी रहने के माहौल में वातार् नहीं हो सकती। इस सम्मेलन का मुख्य विषय सुरक्षा और समृद्धि है जिसमें पांच देशों की रेल परियोजना, चाबार परियोजना सहित प्रमुख संपर्क पहलों पर विचार विमर्श होगा। सम्मेलन में कल टीएपीआई (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) गैस पाइपलाइन परियोजना पर चर्चा हो सकती है।
हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रोसेस को 2011 में शुरू किया गया था और इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, चीन, भारत, ईरान, कजाखस्तान, किीर्गिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इस मंच को स्थापित करने का मकसद अफगानिस्तान और इसके पड़ोसियों के बीच सुरक्षा, राजनीति और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
इसके समर्थक देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, फिनलैंड, जर्मनी, इराक, इटली, जापान, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन तथा अमेरिका शामिल हैं।

Back to Top

Search