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हार्ट अटैक से पूर्व मंत्री की मौत

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यहां के रविंद्र भवन में एक प्रोग्राम के दौरान दिल का दौरा पड़ने की वजह से पूर्व मंत्री आनंद मोहन सिंह की मौत हो गई। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की मौजूदगी में ही सम्मेलन के दौरान स्टेज पर आनंद मोहन को दिल का दौरा पड़ा। लेकिन लालू यादव ने कार्यक्रम रुकवाया नहीं। सम्मेलन में आए तमाम वीआईपी में से कोई उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए आगे नहीं आया। 15 मिनट बाद एक कार्यकर्ता की गाड़ी से आनंद को पटना मेडिकल कॉलेज (पीएमसीएच) ले जाया गया। पीएमसीएच में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि आनंद मोहन की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
यह वाकया नोनिया बिंद बेलदार समाज के एक सम्मेलन के दौरान हुआ। इसमें लालू यादव के अलावा राज्य सरकार के मंत्री श्याम रजक भी मौजूद थे। आनंद मोहन पोडियम से भाषण देकर लौटे और कुर्सी पर बैठते ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कार्यकर्ता उन्हें उठाकर हॉल से बाहर ले गए। इसके बाद मंच से कहा गया कि आनंद जी को चक्कर आया है। कार्यक्रम जारी रहा। लालू भाषण दे रहे थे। इसी बीच श्याम रजक ने उन्हें धीरे से बताया कि आनंद मोहन सिंह नहीं रहे। इसके बाद लालू ने एक मिनट का मौन रखा और कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
जिस कार्यक्रम में वीवीआईपी और वीआईपी लोग मौजूद होते हैं वहां एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाती है। बेलदार सम्मेलन में एम्बुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी, जिसके चलते आनंद मोहन को तत्काल इलाज नहीं मिल सका। अगर तुरंत इलाज मिल जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।
बताया जाता है कि उन्‍हें अस्‍पताल ले जाने में करीब 10 मिनट की देर इसलिए हो गई क्‍योंकि सम्मेलन में आए तमाम वीआईपी लोगों में से कोई उन्हें तत्‍काल अस्पताल ले जाने के लिए आगे नहीं आया। एक कार्यकर्ता अपनी कार लेकर आया और आनंद मोहन को अस्पताल ले गया। इसमें करीब 15 मिनट बर्बाद हुए।
रोहतास जिले के अकाशी गांव के रहने वाले आनंद मोहन को राजनीति विरासत में मिली थी। आनंद के पिता जंगी चौधरी समाजवादी नेता थे। 1990 में बनी लालू यादव की सरकार में जंगी चौधरी मंत्री बने थे। जंगी चौधरी की मौत के बाद आनंद मोहन ने 1995 में नोखा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीते। इसके बाद लालू ने आनंद मोहन को राज्यमंत्री भी बनाया था।

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