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हाईकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, सीबीआई की टीम पूर्व वित्त मंत्री के घर पहुंची

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कोर्ट ने कहा- तथ्यों से लगता है कि पी चिदंबरम इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता थे
अदालत ने मामले को मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक केस बताया, कहा- जमानत देने से गलत संदेश जाएगा
आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रु की विदेशी फंडिंग लेने की मंजूरी से जुड़ा है मामला
सीबीआई ने 2017 में एफआईआर दर्ज की थी, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा
आईएनएक्स मीडिया घोटाले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद सीबीआई की एक टीम पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम के घर पहुंची। इससे पहले चिदंबरम के वकील ने इस आदेश पर तीन दिन का स्टे देने की मांग भी की, लेकिन अदालत ने इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि तथ्यों से पता चलता है कि आईएनएक्स मीडिया घोटाले में चिदंबरम प्रमुख साजिशकर्ता थे।
हाईकोर्ट का प्रथम दृष्टया मानना है कि प्रभावी जांच के लिए चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है। अदालत ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक केस बताया। जस्टिस सुनील गौर ने कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
कांग्रेस नेता ने सवालों के गोलमोल जवाब दे रहे थे- कोर्ट
अदालत ने कहा कि जब हमने कांग्रेस नेता को अदालत की ओर से “प्रोटेक्टिव कवर’ मुहैया कराया था, तब वे जांच एजेंसियों के सवालों के गोलमोल जवाब दे रहे थे। कोर्ट ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से बचने के लिए दी गई अंतरिम राहत भी घटा दी। इससे पहले उन्हें 25 जुलाई को अंतरिम राहत दी गई थी, जो अदालत द्वारा बार-बार बढ़ाई जा रही थी।
फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे चिदंबरम
चिदंबरम हाईकोर्ट के फैसले को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग लेने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं के आरोप हैं। सीबीआई ने 2017 में एफआईआर दर्ज की थी।
सीबीआई का आरोप- विदेशी फंडिंग को मंजूरी गलत तरीके से दी गई
आईएनएक्स मीडिया को 2007 में 305 करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग लेने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिली थी। इस प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोप हैं। चिदंबरम उस वक्त वित्त मंत्री थे। एफआईपीबी वित्त मंत्रालय के अधीन था। इसकी जिम्मेदारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्तावों की मंजूरी के लिए वित्त मंत्री से सिफारिशें करना था। 3,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश के मामले में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी से भी मंजूरी लेनी होती थी। मोदी सरकार ने 2017 में एफआईपीबी को भंग कर दिया और संबंधित विभागों को एफडीआई के प्रस्ताव मंजूर करने के अधिकार दे दिए गए।
चिदंबरम के बेटे कार्ति भी आरोपी
आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम के बेटे कार्ति के खिलाफ भी ईडी और सीबीआई जांच कर रहे हैं। जांच में कार्ति से जुड़ी कंपनियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आईएनएक्स मीडिया से कनेक्शन पता चला था।

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