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स्मार्ट सिटी परियोजना के पहले चरण में भुवनेश्वर को मेरिट में पहला स्थान मिला

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स्मार्ट सिटी परियोजना के पहले चरण में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बीस शहरों को चुना गया है। इसमें भुवनेश्वर को मेरिट में पहला स्थान मिला है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद को 12वां स्थान मिला है। हालांकि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व उत्तराखंड के किसी भी शहर को इस सूची में जगह नहीं मिली है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी 97 शहरों की सूची में 96 स्थान पर है। उसके बाद आखिरी स्थान पर देहरादून है। इन 20 शहरों को इस वित्तीय वर्ष से बजटीय सहायता मिलनी शुरू हो जाएगी। पहले चरण में चुने गए 20 शहर 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से आते हैं। ऐसे में अभी भी 23 राज्य व केंद्र शासित राज्य छूट गए हैं।
शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है कि शेष राज्यों को फास्ट ट्रैक आधार पर प्रतिस्पर्धा करने का एक मौका और दिया जाएगा। वे अपने शहरों के प्रस्तावों को बेहतर करके 15 अप्रैल तक भेज सकते है। इस तरह सरकार इस दौर में 43 शहरों को शामिल कर सकती है। हालांकि 15 अप्रैल तक प्रस्ताव आने से उनको धन का आवंटन अगले वित्तीय वर्ष में ही हो सकेगा। इसके बाद जो शहर बाकी रहेंगे, उनमें से 17 और अगले वित्तीय वर्ष में दूसरे चरण में और बाकी 20 उसके बाद वाले साल में शामिल किए जाएंगे।
पहली सूची में मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा तीन शहर, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश के दो-दो व पंजाब, उड़ीसा, असम, केरल व नई दिल्ली का एक-एक शहर शामिल हैं। इनमें भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, जबलपुर, विशाखापट्टनम, सोलापुर, दावनगेरे, इंदौर, एनडीएमसी, कोयंबटूर, काकीनाडा, बेलगाम, उदयपुर, गुवाहाटी, चेन्नई, लुधियाना व भोपाल शामिल है।
स्मार्ट सिटी मिशन में पहले चरण में उन शहरों को चुना गया है, जिनके प्रस्तावों में निवेश की जरूरत के हिसाब से अपने व्यापक वित्तीय प्रस्ताव पेश किए थे। इसके लिए जो मानक तय किए गए थे उनमें केंद्र सरकार से पांच साल में मिलने वाले 500 करोड़ रुपये और इतनी ही राशि की राज्य सरकार की सहायता, भूमि मौद्रीकरण, ऋण, शहरी स्थानीय निकायों द्वारा जुटाए जाने वाले संसाधन, क्षेत्र विकास संपत्तियों पर कर, करों का युक्तिकरण और पीपीपी के जरिए निवेश हासिल करना शामिल था।
पहले स्थान पर रहे भुवनेश्वर ने योजनाओं के समावेश से 525 करोड़ रुपये और पीपीपी के जरिए 2563 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव पेश किए थे, जो बाकी शहरों से सबसे ज्यादा थे। पहले दस शहरों ने 8521 करोड़ रुपये पीपीपी के जरिए और 4539 करोड़ रुपये योजनाओं के समावेश से हासिल करने के प्रस्ताव पेश किए थे। जिन शहरों के वित्तीय प्रस्ताव में कमी है, उन्हें और निवेश हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
स्मार्ट सिटी के लिए हर शहर को एक या दो स्मार्ट सिटी समाधान देने थे। पेन सिटी समाधान विभिन्न सेवाओं को प्रदान करने और ढांचागत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी आधारिक प्लेटफाॠर्म होता है। इसमें इंटेलीजेंट परिवहन, स्मार्ट जल, बिजली व ठोस कचरा प्रबंधन, ई-गवर्नेंस, सही समय पर सूचना उपलब्ध कराना, स्मार्ट ग्रिड, स्मार्ट स्वास्थ्य-शिक्षा सेवाएं, स्मार्ट कार्ड ट्रांसपोर्ट, इंटेलीजेंट स्ट्रीट लाइट, वाहन ट्रैकिंग, डाटा एनालिसिस केंद्र, सीसीटीवी, जीपीएस लगे रिक्शा आदि शामिल हैं।
एनडीएमसी ने अपने प्रस्ताव में कनाॠट प्लेस और उसके आसपास के लगभग 550 एकड़ क्षेत्र को विश्वस्तरीय शहरी क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए चुना था। एनडीएससी की प्रस्ताव छह प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित था।
1. राजधानी क्षेत्र को वैश्विक सुविधाओं के अनुरूप विकसित करना।
2. रेजीडेंट वेलफेयर एसोशिएसन के साथ सीधा संपर्क कर 95 फीसद स्थानीय लोगों से स्मार्ट सिटी पर राय ली
3. पैदल फुटपाथ का क्षेत्र बढ़ाना, जिससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को और तेजी मिल सके
4. पेन सिटी समाधान के तहत सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए पूरे एनडीएमसी क्षेत्र को इसके दायरे में लाना।
5. प्रोजेक्ट की लागत 1897.27 करोड़ रुपए (क्षेत्र आधारित 669.1 करोड़ व पेन सिटी 1228.17 करोड़ रुपये)
6. पीपीपी के जरिए 797 करोड़ (42 फीसद) वित्त जुटाना, बाकी का धन योजनाओं समावेश से हासिल करना

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