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सेना की वर्दी में PM मोदी ने जम्‍मू कश्‍मीर में जवानों के साथ मनायी दीवाली, कहा-आप मेरे परिवार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में नियंत्रण रेखा के समीप तैनात सैनिकों के साथ दीवाली मनायी और उनके त्याग एवं बलिदान की सराहना करते हुए कहा कि वह उन्हें अपना परिवार मानते हैं. अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री नियंत्रण रेखा पर तैनात सेना और बीएसएसफ जवानों के साथ दीवाली मनाने सुबह गुरेज पहुंचे. उनकी यह यात्रा पूर्व घोषित नहीं थी.
उन्होंने गुरेज घाटी में सैनिकों के साथ दो घंटे बिताये. यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से काफी नजदीक है. इस क्षेत्र में पिछले 27 वर्षों में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के साथ कई मुठभेडें हुई हैं. यह लगातार चौथा साल है जब प्रधानमंत्री ने सीमा पर जवानों के साथ दीवाली मनायी है. इस मौके पर थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे.
अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री जवानों से मिले और उन्हें मिठाईयां दी. प्रधानमंत्री ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि अन्य लोगों की तरह वह भी अपने परिवार के साथ दीवाली मनाना चाहते हैं. इसलिए वह सशस्त्र बलों के जवानों के पास आये हैं क्योंकि वह जवानों को अपना परिवार मानते हैं. मोदी ने कहा कि जब वह सशस्त्र बलों के जवानों और सैनिकों के साथ समय गुजारते हैं तो उन्हें नयी ऊर्जा मिलती है. उन्होंने प्रतिकूल स्थितियों के बीच उनकी तपस्या और बलिदान की सराहना की.
उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि यहां मौजूद जवान नियमित रूप से योगाभ्यास करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे उनकी योग्ताएं बढ़ेंगी और शांति भी मिलेगी. उन्होंने कहा कि कि सेना में अपनी सेवाएं पूरी करने के बाद जवान बेहतरीन योग प्रशिक्षक बन सकते हैं. प्रधानमंत्री ने जवानों को नवोन्मेष के लिए प्रोत्साहित किया जिससे उनके नियमित कार्य और ड्यूटी आसान तथा सुरक्षित बन सकें.
उन्होंने जिक्र किया कि सेना दिवस, नौसेना दिवस और वायु सेना दिवस पर अब बेहतरीन नवोन्मेषों की पहचान की जा रही है और उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है. मोदी ने कहा कि केंद्र हर संभव तरीके से सशस्त्र बलों के कल्याण और बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है. इस क्रम में उन्होंने वन रैंक वन पेंशन को लागू किये जाने का जिक्र किया जो दशकों से लंबित था. प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने करीब लोगों से दूर रहकर, मातृभूमि की रक्षा करना, बलिदान की सर्वोच्च परंपरा का निर्वहन करना, बहादुरी और समर्पण के प्रतीक हैं.
प्रधानमंत्री ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि उन्हें जवानों के साथ दीवाला का त्योहार मनाने का मौका मिला. त्योहार के इस अवसर पर, सीमा पर बहादुर सैनिकों की उपस्थिति उम्मीदों का दीप जलाती है और करोड़ों भारतीयों के बीच नयी ऊर्जा जगाती है. उन्होंने कहा, न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए, हम सबके लिए मिलकर काम करने का यह सुनहरा अवसर है. सेना भी इसका एक हिस्सा है.

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