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सुस्त प्रशासन रहा विकास की दर में गिरावट का जिम्मेदार

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भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की खिंचाई की है। आर्थिक विकास की दर में तेज गिरावट के लिए राजन ने बीते दो साल में सुस्त प्रशासन और प्राकृतिक संसाधनों के मनमाने आवंटन को सीधे जिम्मेदार ठहराया है। वह मानते हैं कि राजनीतिक स्थिरता के चलते आने वाले तीन साल में आर्थिक विकास की दर सुधरकर सात फीसद पर पहुंच जाएगी।
बोस्टन में निवेशकों के समूह को संबोधित करते हुए राजन ने ये बातें कहीं। उनके हवाले से एक समाचार पत्र ने यह रिपोर्ट छापी है। राजन ने कहा कि बीते दो साल में आर्थिक विकास की दर 8-9 फीसद से फिसलकर 4-5 फीसद पर पहुंच गई। पर्यावरण एवं भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं, राजकोषीय और मौद्रिक प्रोत्साहन की वापसी में विलंब, प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन में अनियमितता और प्रशासन की सुस्ती जैसे मुद्दों के चलते ऐसा हुआ। लेकिन, अब भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। कारोबार और निवेश का माहौल सुधरा है। लिहाजा, आर्थिक विकास की दर के बढ़ने की पूरी संभावना है। कोयला ब्लॉक आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए राजन ने कहा कि यह थोड़े समय के लिए तो अनिश्चितता पैदा करेगा, लेकिन लंबी अवधि में इससे फायदा होगा।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर सुधरकर 5.7 फीसद पर पहुंच गई। बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 4.6 फीसद थी। महंगाई के संबंध में राजन बोले कि यह अभी भी सामान्य से ज्यादा है। चिंता का विषय खाद्य महंगाई की दर है। इस पर नजर रखने की जरूरत है। इस साल सामान्य से कम मानसून के चलते इस मोर्चे पर बेचैनी और बढ़ गई है। जुलाई में खाद्य महंगाई की दर 8.43 फीसद रही।
फंसे कर्जो की समस्या से निपटने के लिए आरबीआइ के गवर्नर ने कहा कि बैंक विलफुल डिफॉल्टर के तमगे को मजबूत हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। विजय माल्या का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि बदनामी का यह तमगा मिलने के बाद कर्ज लेने वाले के लिए वित्तीय प्रणाली से और कर्ज लेने के रास्ते बंद हो जाते हैं। दाग धोने के लिए उनकी ओर से कर्ज वापसी की संभावनाएं भी बढ़ती हैं।

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