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सीमांचल में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण और मुस्लिम मतों में बंटवारे से इस बार सियासी समीकरण बदले बदले से

चुनाव, बिहार, विधान सभा

बिहार के सीमांचल और कोसी में इस बार सियासी समीकरण बदले बदले से हैं। यूं तो यहां की 37 सीटों पर सीधी लड़ाई सूबे के अन्य इलाकों की तरह राजग और महागठबंधन के बीच है, मगर सियासी मैदान में एआईएमआईएम, एनसीपी और सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी की घुसपैठ ने चुनावी समीकरणों को फिलहाल उलझा कर रख दिया है।सीमांचल में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण और मुस्लिम मतों में बंटवारे पर उम्मीद टिकाए भाजपा जहां दर्जन भर से अधिक बागी उम्मीदवारों से हलकान है।वहीं एनसीपी, जपा और एआईएमआईएम के उम्मीदवार महागठबंधन के सामाजिक न्याय के मतों में बंटवारा कराने पर तुले हैं। इन तीनों ही दलों ने सीमांचल में जहां मुस्लिम उम्मीदवारों को वरीयता दी है, वहीं कोसी क्षेत्र में जपा ने महागठबंधन के स्वजातीय उम्मीदवारों को।चूंकि यहां अंतिम चरण में 5 नवंबर को मतदान होना है, इसलिए भाजपा और महागठबंधन के नेता ने फिलहाल यहां अपनी पूरी ताकत नहीं झोंकी है।
उल्लेखनीय है कि बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू गठबंधन ने यहां की 37 में से 27 सीटों पर कब्जा कर अपना दमखम दिखाया था। हालांकि अब जदयू ने राजद को अपना नया साथी बना लिया है।भाजपा की रणनीति के मुताबिक मुस्लिम बहुल सीटों पर हिंदू मतों का ध्रुवीकरण हो रहा है। उसकी परेशानी यह है कि इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता सतर्क हैं, जबकि कई सीटों पर बागी ने अलग समस्या खड़ी की है।बहादुरगंज के कांग्रेस उम्मीदवार तौसीफ अहमद कहते हैं कि भले ही इस समय मुसलमानों का एक हिस्सा दूसरे विकल्प के बारे में सोच रहा है, मगर चुनाव आते आते सभी एकजुट हो जाएंगे।
कदवा विधानसभा के कुरुम के शकील अहमद के मुताबिक मुसलमानों की पहली और अंतिम इच्छा भाजपा को सत्ता में आने से रोकना है। ऐसे में मुस्लिम मतों में बिखराव मुश्किल दिखता है। अमौर विधानसभा के भट्टा हाट के रफीक अहमद भी ऐसा ही मानते हैं।कोसी के सहरसा, मधेपुरा और सुपौल की 13 विधानसभा सीटों पर अगर पप्पू की पार्टी जपा के उम्मीदवारों को चली तो महागठबंधन की मुसीबत बढ़ेगी।
दरअसल जपा ने इन सीटों पर महागठबंधन के स्वजातीय या पिछड़ी जाति के उम्मीदवार खड़े किए हैं। हालांकि इससे मतदाताओं में जपा की महागठबंधन को हराने की रणनीति का भी संदेश गया है।
अररिया के रानीगंज के महादलित समुदाय से जुड़े विनोद कुमार कहते हैं कि अगर पप्पू को पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टी हम का साथ मिलता तो इस क्षेत्र में तस्वीर कुछ और होती। फिलहाल तो महादलित राजग के साथ हैं, जबकि अति पिछड़ी जातियों में मतदान पर चर्चा जारी है।

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