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सिक्किम के तेवर तल्ख, मुकदमा कर बंगाल से मांगा 60,000 करोड़ का हर्जाना

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गोरखालैंड का मसला तो सुलझ नहीं रहा, उलटे यह एक नयी समस्या को भी जन्म दे रहा है. यह समस्या सिक्किम को लेकर खड़ी हो रही है. एक तरफ सिक्किम की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारत-चीन विवाद चल रहा है, तो दूसरी तरफ गोरखालैंड आंदोलन का असर भी उस पर पड़ रहा है.
समतल से राशन व अन्य आवश्यक सामग्रियों से लदी सिक्किम की गाड़ियों में तोड़-फोड़ की जा रही है. चालक व खलासियों के साथ मारपीट की जा रही है. इससे तंग आकर सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
दायर याचिका में कहा गया है कि गोरखालैंड आंदोलन की वजह से बीते 32 सालों में 60 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 1975 में सिक्किम 22वें राज्य के रूप में भारत में शामिल हुआ था. इससे पहले सिक्किम एक स्वतंत्र देश था. भारतीय संविधान की धारा 371 एफ के तहत सिक्किम को विशेष अधिकार व मान देकर संधि की गयी थी. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर सिक्किम में असंतोष बढ़ रहा है.
फिर से स्वतंत्र देश बनने के लिए पड़ोसी देश चीन भी सिक्किम को उसका रहा है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय अखबार ग्लोबल टाइम्स में चीन द्वारा सिक्किम की आजादी को समर्थन दिये जाने की चेतावनी संबंधित खबर छपी है. सिक्किम सीमा पर भारत के साथ तनाव को देखते हुए चीन ने भारत को बिना बताये मानसरोवर यात्रा रोक दी है.
फिर से सुलगे गोरखालैंड आंदोलन का भी असर सिक्किम पर पड़ रहा है. दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, मिरिक व कर्सियांग के साथ सिक्किम में भी खाद्य संकट पैदा होने के आसार दिखने लगे हैं. सिक्किम के व्यवसायियों का कहना है कि गोरखालैंड आंदोलन के पहले जिस परिमाण में समतल से खाद्य व अन्य सामानों की आपूर्ति होती थी वर्तमान में उतना सामान नहीं आ रहा है.
समतल से सामान लेकर सिक्किम की ओर आने वाली गाड़ियों पर कहर बरपाया जा रहा है. सामान को नष्ट करने के साथ गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इन सभी घटनाओं को देखते हुए सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने पश्चिम बंगाल सरकार को एक करारा झटका दिया है.
श्री चामलिंग ने बंगाल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है. उनका कहना है कि पिछले 32 वर्षों से जारी अलग राज्य गोरखालैंड आंदोलन की वजह से सिक्किम को 60 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके पहले भी सिक्किम सरकार गोरखालैंड के समर्थन में एक प्रस्ताव पास कर केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक पत्र भेज चुकी है.
ऐसी स्थिति में सिक्किम सबजेक्ट कमिटी के अध्यक्ष नवीन किरण का बयान काफी हैरान करने वाला है. उन्होंने बयान दिया है कि भारत में शामिल होने के बाद से विपरीत परिस्थिति में सिक्किम पड़ोसी राज्य बंगाल व दिल्ली की तरफ देखता था. गोरखालैंड आंदोलन की वजह से वर्तमान परिस्थिति में केंद्र व बंगाल सरकार का रूख देखकर सिक्किम चीन की तरफ देखने को बाध्य हो रहा है.

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