सासाराम में सब कर रहे जीत का दावा

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सासाराम और बाबू जगजीवन राम दोनों भारतीय राजनीति में करीब चार दशकों तक एक दूसरे के पर्याय रहे। संसदीय राजनीति में जगजीवन राम और उनकी बेटी मीरा कुमार के कारण सासाराम हमेशा से हाईप्रोफाइल सीट रही है।
कांग्रेस ने एक बार फिर वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को मैदान में उतारा है। पिछले दस साल से सासाराम का प्रतिनिधित्व कर रही मीरा कुमार को कांग्रेस के दो प्रतिनिधियों में थीं, जिन्होंने 2009 के चुनावों में जदयू -भाजपा के लहर के बावजूद जीत हासिल की थी।
कांग्रेस इस बार राजद के साथ गठबंधन में चुनाव में उतरी है। कांग्रेस समर्थकों को इस गठबंधन का फायदा मिलने की उम्मीद है। साथ ही उनको अल्पसंख्यक वोटों की उम्मीद है। भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बदल दिया है। पार्टी ने चैनपुर से जदयू के बागी विधायक छेदी पासवान पर दांव लगाया है। छेदी को अपने स्वजातीय और भाजपा के परंपरागत वोट का भरोसा है। हालांकि पूर्व सांसद मुनिलाल ने उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी किया है। लेकिन छेदी और उनके समर्थकों को नमो लहर की उम्मीद है। दूसरी ओर सत्ताधारी जदयू ने पूर्व आईएएस डा. के पी रामय्या को मैदान में उतारा है। जदयू के समर्थकों को कहना है कि पार्टी इस बार बिहार में विकास की राजनीति के सवाल पर मैदान में उतरी है।

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