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सादा वैवाहिक समारोह दिन में, सुमो ने दिया आशीष

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बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने निकटवर्ती इंद्रपुरी में दिन में संपन्न हुए सादे वैवाहिक समारोह में भाग लिया और वर-वधू (सत्यानंद व अर्पणा विभु) को आशीर्वाद देने के साथ दहेज की कुरीति को समाप्त कर समाज के नवनिर्माण के लिए युवाओं का आह्वान किया।
इस सादे विवाह समारोह में बुद्धिजीवियों और गणमान्य लोगों ने हिस्सा लेकर वर-वधू को आशीर्वाद दिया। विवाह की सभी रस्म सादे माहौल में संपन्न हुई। विवाह के समय शगुन लेकर आए आगंतुको का शगुन या गिफ्ट स्वीकार नहीं किया गया। गांव से बारात भी सादे बैंड के साथ गई और लड़की वालों ने दहेज मुक्त शादी में भोजन करके ही वापस आ गए।
दहेज नहीं लेने और गिफ्ट व रस्मी लेन-देन नहीं होने का दावा
इस शादी के बारे में यह दावा किया गया है कि यह पूरी तरह दहेज रहित शादी है और तिलौथू के निकटवर्ती सरैयां गांव के सत्यानंद ने बिना दहेज और सादे समारोह की शादी संपन्न कर समाज में मिसाल पेश की है। सत्यानंद के पिता विगु प्रसाद का कहना है कि अपनी चारों लड़कियों के विवाह पर हुए खर्चे के बाद सोच लिया था कि वे अपने छोटे बेटे सत्यानंद की शादी बिना दहेजऔर सादे समारोह के साथ करेंगे। उन्होंने अपने रिश्तेदारों को पहले ही आग्रह किया था कि वह अपनी ओर से प्रदर्शन या किसी तरह का खर्च न कर केवल विवाह में शामिल हों। कोई रिश्तेदार परिवार के लिए कपड़ा व अन्य समान नहीं ले आए, इसके लिए शादी के कार्ड पर ही मुद्रित किया गया था कि कपड़े का रस्मी लेन-देन न करें। कोई गिफ्ट देकर भी शर्मिदा न करें।
हालांकि इस शादी समारोह को सरकार के सामाजिक एजेंंडे में शामिल दहेज निषेध के राजनीतिक प्रचार वाला कार्यक्रम माना जा सकता है, मगर सादे समारोह का आयोजन निश्चय ही साहस और अनुकरणीय है। उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इस शादी समारोह में भाग लेकर इस तरह के विवाह को अनुकरणीय बनाने का ही संदेश दिया है।
याद आती है स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की दृढ़ता
शादी को महासम्मेलन बनाने के आज के दौर में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चैधरी को याद किया जाना प्रासंगिक है। स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चैधरी बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री थे और उनकी सरकार ने गेस्ट कंट्रोल एक्ट पास किया था, जिसमें शादी समारोह में अत्यंत सीमित संख्या में ही अतिथियों को बुलाए जाने का प्रावधान है। जगलाल चौधरी ने बारात में जितने लोगों को आमंत्रित किया था, उतने ही लोगों के लिए खाना बनवाया था। फिर भी बारात के अवसर पर बिना बुलाए भी कई अतिथि पहुंच गए थे। नतीजा यह हुआ कि जगलाल चैधरी और उनके परिवार को उस रात भोजन नहीं मिला। चैधरीजी ने बड़ी दृढ़ता का परिचय देकर अतिरिक्त भोजन नहीं बनने देकर कानून का पालन किया था।
नहीं होता है गेस्ट कंट्रोल एक्ट का पालन
गेस्ट कंट्रोल एक्ट आज भी लागू है। मगर क्या इसका पालन होता है? जो लोग कानून का पालन करने के लिए बहाल होते हैं, उनके सामने भी टूटता है और यह भी कहना सत्य है कि वे खुद अपने शादी समारोह में भी इस कानून को तोड़ते हैं। गेस्ट कंट्रोल एक्ट सहित अनेक कानून मौजूद हंै, जिनको रोज टूटते हुए देखा जा सकता है। इससे कानून तोडऩे वालों को बढ़ावा मिलता है।
दरअसल खर्च के प्रदर्शन के कारण है दहेज का अस्तित्व
सामान्य परिवारों में भी समाज के दबाव में शादी-विवाह में अतिथियों को अधिक-से-अधिक संख्या में बुलाया जाता है और खर्च का प्रदर्शन किया जाता है। अमीर लोग तो अपने पैसों और ऐश्वर्य के प्रदर्शन के लिए ऐसा करते हैं। नेता भी शादियों को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के उपक्रम के रूप में प्रस्तुत करते हैं और हजारों लोगों को बुलाते हैं, करोड़ों खर्च करते हैं। दहेज की कुप्रथा तो प्रदर्शन के कारण ही कायम है और खर्च करने की स्थिति में नहींहोने वाले निम्न आय वर्ग के लिए अभिशाप बना हुआ है। खर्च न्यूनतम कर दिया जाए तो दहेज कहां रह जाएगा?

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