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सरकार बनते ही किसानों को बड़ी सौगात, कृषि मंत्रालय बना रहा पहले सौ दिन का एजेंडा

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चुनाव पूरा होने में अभी एक सप्ताह का वक्त है और नतीजा तय करेगा कि केंद्र में कौन सरकार में होगा, लेकिन केंद्रीय मंत्रालय अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। कृषि मंत्रालय ने अपनी प्राथमिकता तय करने और किसानों के लिए राहत का नया रोड मैप सुझाने का खाका तैयार कर लिया है। अगर नई सरकार उस पर मुहर लगाएगी तो शुरुआत में ही किसानों को सौगात मिल सकती है।
खेती किसानी से जुड़े कृषि व खाद्य मंत्रालय के साथ कृषि प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भी नई सरकार के समक्ष पहले एक सौ दिन और पांच साल का विस्तृत एजेंडा तैयार करने में जुट गये हैं। खेती से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मंत्रालय जहां अपनी प्राथमिकताओं का मसौदा तैयार कर रहे हैं, वहीं पिछले पांच सालों के दौरान शुरू की गई योजनाओं को रफ्तार देने के तरीके भी बताएंगे। खाद्यान्न, दालें, खाद्य तेल, बागवानी उत्पाद, मत्स्य और डेयरी उत्पादों की मांग को पूरा करने के साथ आपूर्ति बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। मसौदे में कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों के साथ किसानों की आमदनी को बढ़ाने पर जोर देने पर जोर है।
कृषि उत्पादन बढ़ाने के साथ खाद्य प्रसंस्करण और उत्पादों की मार्केटिंग के उपायों के लिए खाद्य व खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालयों को भी योजना तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। नीति आयोग ने भी इसी दिशा में पहल की है। आयोग के अधिकारियों की ओर से बृहस्पतिवार को कृषि और खाद्य क्षेत्र पर प्रस्तुति दी जाएगी। इसके पहले कृषि मंत्रालय और उसके साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सचिव स्तर के अफसरों ने अपनी योजना पेश कर दी है।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अगले पांच सालों के कार्यक्रम के साथ सरकार के समक्ष एक सौ दिनों की भी योजना पेश होगी। लेकिन इस तरह के प्रस्ताव पर केंद्र में गठित होने वाली नई सरकार ही मुहर लगाएगी। खाद्य मंत्रालय जहां खाद्य सुरक्षा के लिए विभिन्न जिंसों की जरूरतें बतायेगा, वहीं घरेलू उत्पादन के साथ आयात होने वाली जिंसों का ब्यौरा भी पेश करेगा। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के समक्ष चुनौतियां सबसे अधिक हैं। उसे निवर्तमान सरकार की शुरु की गई संपदा योजना को लागू करने और उसके नतीजे पर ब्यौरा तैयार करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित औद्योगिक विकास की योजना भी तैयार करनी है।
कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने की रणनीति को प्राथमिकता दी जा रही है। इसमें राज्यों व केंद्र के बीच समन्वय के साथ कानूनी सुधार पर जोर दिया जाएगा। मंडी कानून और कांट्रैक्ट खेती समेत लगभग एक दर्जन ऐसे अधिनियम है, जिससे कृषि क्षेत्र प्रभावित होता है। कृषि क्षेत्र को समग्रता में देखने की कोशिश की जाएगी, ताकि किसानों को पंरपरागत फसलों की खेती के साथ अन्य वैकल्पिक आमदनी के उद्यम का लाभ भी मिल सके। इसमें मत्स्य पालन, डेयरी, बागवानी और अन्य उपाय भी शुमार किये जाएंगे। इन मंत्रालयों की प्रस्तुतियां पहले ही दे दी गई हैं, जिन्हें मिलाकर विस्तृत मसौदा तैयार किया जाएगा। मंत्रालय के अफसरों का मानना है कि इससे आने वाली सरकार के लिए जहां सहूलियत होगी, वहीं पहले से चल रही योजनाओं को तेजी से पूरा करना सहज हो जाएगा।

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