श्राद्ध में नहीं जा सकते तीर्थ स्थल तो घर पर ही करें ये 6 कार्य, प्रसन्न होते हैं पितृ
ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार September 17, 2016 , by ख़बरें आप तकऐसा शास्त्रों में लिखा है कि मनुष्य के जन्म लेने के बाद उस पर तीन ऋष चढ़ जाते हैं। पहला देव ऋण, दूसरा ऋणि ऋण और तीसरा पितृ ऋण होते हैं। इनमें पितृ ऋण के निवारण केलिए पितृ तर्पण किया जाना बेहद जरूरी होता है। जिन्हें हम श्राद्ध कर्म भी कहते है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या काम करने जरूरी होते है।
यदि हम किसी भी तीर्थ स्थान, किसी भी पवित्र नदी, किसी भी पवित्र संगम पर नहीं जा पा रहे हैं तो नीचे दिए गए हुए सरल और छोटे कार्यों को घर पर ही जरूर कर सकते हैं।
प्रतिदिन खीर बनाकर तैयार कर लें और श्राद्ध पूजा के दौरान इसे चढ़ाएं।
गाय के गोबर के कंडे को जलाकर पूर्ण प्रज्वलित कर लें।
प्रज्वलित कंडे को शुद्ध स्थान में किसी बर्तन में रखकर, खीर से तीन आहुति दे दें।
श्राद्ध स्थल पर जल से भरा हुआ एक गिलास रख दें अथवा लोटा रख दें।
जल से भरे हुए गिलास या लोटे को अगले दिन किसी वृक्ष की जड़ में डाल दें।
भोजन में से सबसे पहले गाय, काले कुत्ते और कौए के लिए ग्रास अलग से निकालकर उन्हें खिला दें। इसके पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराएं फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें। पश्चात ब्राह्मणों को यथायोग्य दक्षिणा दें।
शास्त्र के अनुसार होते हैं 12 प्रकार के श्राद्ध
नित्य श्राद्ध
नैमित्तिक श्राद्ध काम्य श्राद्ध वृद्धि श्राद्ध सपिण्डन श्राद्ध
पार्वण श्राद्ध गोष्ठण श्राद्ध शुद्धयर्थ श्राद्ध कर्मांग श्राद्ध
दैविक श्राद्ध औपचारिक श्राद्ध सांवत्सरिक श्राद्ध
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