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शराबबंदी के बाद अब बिहार में चलेगा जल-जीवन-हरियाली अभियान, सभी जलस्रोत होंगे सुरक्षित

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जलवायु परिवर्तन के चलते राज्य में आपदाजनक स्थिति से मुकाबले की दिशा में बिहार ने ऐतिहासिक एकजुटता दिखाई। शराबबंदी के बाद राज्य सरकार ने पहली बार किसी बड़े खतरे पर सामूहिक विमर्श किया और सभी दलों से सुझाव भी लिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर स्पीकर विजय कुमार चौधरी ने विधानमंडल के सेंट्रल के हॉल में शनिवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया। सुबह 10.30 बजे से देर रात चली इस बैठक में 200 से ज्यादा सदस्यों ने अपने विचार रखे। सीएम ने सदस्यों से अपने-अपने क्षेत्र में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का आग्र्रह किया।
प्रदेश के सभी जलस्रोतों को सुरक्षित करने पर जोर
प्रदेश के सभी जलस्रोतों को सुरक्षित करने पर जोर देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि पर्यावरण पर चर्चा करने से लोगों में जागृति आएगी। जलवायु परिवर्तन के चलते कम बारिश, भूजल में गिरावट, पेयजल संकट, बाढ़ और सूखे की समस्या लगातार बढ़ रही है। पर्यावरण की रक्षा के लिए सबको सजग होना पड़ेगा। पहले से ही एसओपी (आदर्श कार्य योजना) तैयार है, जिसमें स्पष्ट है कि आपदा की स्थिति में किस विभाग के पास क्या जिम्मेदारी है। किसे क्या करना है। सीएम ने कहा कि आपदा की स्थिति में राज्य के खजाने पर सबसे पहला अधिकार प्रभावितों का है।
जल संकट को लेकर भी बोले सीएम
जल संकट के बारे में सीएम ने कहा कि अभी कुछ दिनों से नेपाल एवं उत्तर बिहार में बारिश हो रही है। बाढ़ आने की आशंका है, लेकिन सारी तैयारी कर ली गई है। मानसून की अनियमितता की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा कि सामान्य तौर पर 15 जून तक बिहार में मानसून सक्रिय हो जाता था, लेकिन अब इसका समय पीछे होता जा रहा है। मौसम विभाग ने पिछले वर्ष सामान्य वर्षा होने का अनुमान लगाया था, लेकिन उससे भी कम वर्षा हुई। पिछले तीन दशक के औसत आकलन के आधार पर एक हजार मिमी बारिश हुई है। पिछले साल तो 800 मिमी ही बारिश हुई, जबकि पहले 1200 से 1500 मिमी तक बारिश होती थी।
ग्रीन गैस प्रभाव के कारण बढ़ा है तापमान
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीन गैस प्रभाव के कारण तापमान बढ़ा है, जिससे जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। वाहनों की बढ़ती संख्या, कारखानों के उपयोग, विकास के बदलते पैमाने के कारण वातावरण दूषित हो रहा है।
मिट्टी की गुणवत्ता की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कटनी के बाद किसान फसलों के अवशेष जलाने लगे हैं। इससे धरती में मौजूद कई चीजें जल जाएंगी। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया है। पहले रोहतास, कैमूर के इलाके से शुरू हुआ था। अब पटना और उत्तर बिहार के लोग भी खेत में आग लगाने लगे हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। स्वास्थ्य पर असर पर रहा है। मगध में लू से बहुत लोग मर गए। वज्रपात से 53 लोगों की मौत हो गई। मुजफ्फरपुर में चमकी बीमारी से गरीब बच्चों की मौत हुई। पर्यावरण की रक्षा के लिए सजग होना पड़ेगा।
बचाव के लिए लोग पेड़ लगाएं
उन्‍होंने कहा कि बचाव के लिए लोगों को पेड़ लगाने चाहिए। वर्षा जल संचयन के लिए सजग होना पड़ेगा। जमीन के अंदर का पानी शुद्ध है। अगर ऊपर से गंदा पानी भेज देंगे तो और गंदा हो जाएगा। हर घर को जल उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन पेयजल के दुरुपयोग से बचना होगा। राज्य बंटवारे के दौरान बिहार का हरित आवरण नौ फीसद था, जो अब बढ़कर 15 फीसद हो गया है। इसे बढ़ाकर 17 करना है। बड़े पैमाने पर पौधारोपण की जरूरत है।

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