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लोकसभा में महिला सांसदों की गूंज मांगी ‘आजादी’

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महिला दिवस के अवसर पर लोकसभा में आज महिला सदस्यों की आवाज कुछ इस तरह से गूंज उठीं, ‘मुझे अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण को पैदा करने की चाहिए आजादी … मंदिरों, दरगाहों में जाने की चाहिए आजादी … मनमाफिक कपड़े पहनने की चाहिए आजादी … चाहिए तमाम सामाजिक कुप्रथाओं से आजादी….’ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज संसद में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अधिकतर महिला सांसदों ने महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों के ‘पिंजरे से आजादी’ दिए जाने की पुरजोर मांग की.
कांग्रेस की रंजीत रंजन इस खास मौके पर नारी सशक्तिकरण का परिचय देने के लिए जहां मोटरबाइक पर सवार होकर संसद भवन पहुंचीं तो वहीं भाजपा की हेमा मालिनी ने लडकियों को लडकों की तरह आजाद होकर सपने देखने का अधिकार दिए जाने की मांग की. शिवसेना की भावना गवली ने महाराष्ट्र में शनि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति से इनकार किए जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि हम समानता की बात करते हैं लेकिन हम मंदिरों में नहीं जा सकते. भाजपा की पूनम महाजन ने कहा कि महिला सशक्तीकरण का मतलब यह है कि मुझे मेरे गर्भ में जो भ्रूण पल रहा है , उसे पैदा करने की आजादी हो मैं जैसे कपडे पहनना चाहूं मुझे वैसे कपडे पहनने की आजादी हो, मुझे मंदिरों और दरगाहों में बिना रोकटोक के जाने की आजादी हो .’
तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी राय ने कहा, ‘‘ हमें बसों में अलग सीट नहीं चाहिए. हम खुद बस चलानी चाहती हैं. हमें आयकर में छूट नहीं चाहिए बल्कि हम खुद पांच करोड रुपये कमाने लायक बनकर पूरा आयकर अदा करना चाहती हैं.’ टीआरएस की के कविता ने कहा कि शादी करके मायके से ससुराल जाने वाली अधिकतर महिलाओं का यह मानना होता है कि पिता और भाई के नियंत्रण वाले पिंजरे से निकाल कर उन्हें पति और ससुराल वालों के नियंत्रण वाले पिंजरे में डाल दिया गया है.
कविता ने कहा कि महिलाओं को इन पिंजरों से मुक्ति दिलाए जाने की जरूरत है. माकपा की श्रीमती टीचर ने महिला आरक्षण विधेयक को सदन में पेश कर उस पर मत विभाजन कराने की मांग की ताकि पूरे देश को पता चल सके कि कौन ताकते हैं जो आधी आबादी के हक का विरोध कर रही हैं

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