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रोजाना कोई न कोई बेटी दहेज प्रताड़ना की शिकार हो रही है,आठ वर्षों में 743 शिकार

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रोजाना कोई न कोई बेटी दहेज प्रताड़ना की शिकार हो रही है. कभी उसे ससुराल में मारा-पीटा जाता है, तो कभी उसे ससुराल से निकाल दिया जाता है. या फिर दहेज नहीं लाने पर तलाक देने की धमकी दी जाती है. महिला हेल्पलापइन के आंकड़ों के अनुसार प्रतिमाह औसतन दस बेटियां आज भी दहेज प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं. हालांकि, पूर्ण शराबबंदी के बाद सरकार अब इसके खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली है, लेकिन इन घटनाओं के बढ़ते आंकड़े यह बता रहे हैं कि अब भी रास्ते में कई चुनौतियां हैं.
आंकड़े बता रहे कितने गंभीर हैं हालात
पिछले आठ वर्षों में महिला हेल्पलाइन में दहेज प्रताड़ना के 743 मामले दर्ज हुए हैं. वर्ष 2010 में जहां इनकी संख्या 68 थी, वहीं वर्ष 2012 यह बढ़ कर 90 हो गयी. इसके बाद से इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. आंकड़ों को देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में दहेज प्रताड़ना के मामलों में कितनी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. महिला हेल्पलाइन की काउंसेलर सरिता सजल बताती हैं कि घरेलू हिंसा के बाद दूसरे नंबर पर दहेज
प्रताड़ना के ही मामले दर्ज होते हैं. दहेज अधिकतर घरेलू हिंसा के मामले में प्रमुख वजह के रूप में सामने आ रहे हैं. दहेज की मांग पूरी नहीं हो पाने के कारण ससुराल पक्ष वाले बहू को प्रताड़ित करना शुरू कर देते हैं. यही कारण है कि बीते चार-पांच वर्षों में दहेज प्रताड़ना के आंकड़ों में भी वृद्धि दर्ज की गयी है.
ये हैं कारण : महिला काउंसेलरों के मुताबिक दहेज हत्या और प्रताड़ना के मामले ज्यादा सामने आने के तीन प्रमुख कारण हैं :
1. आज भी रूढ़िवादी समाज के लोग इसे परंपरा का रूप देकर दहेज की मांग करते हैं. दहेज नहीं लेने पर उन्हें या लड़के को हीन भावना से देखा जाता है. 2. दूसरा बड़ा कारण यह कि आज भी महिलाओं की शिक्षा का स्तर कम है. इससे वे इसका विरोध नहीं कर पाती हैं.
3. तीसरा कारण यह है कि नौकरी पेशा वाले लोगों की कमी है. जब आर्थिक रिसोर्स के रूप में कुछ नहीं दिखाई देता है, तो वहां दहेज की मांग उठती है.
कानून सख्ती से हो लागू
शराबबंदी अभियान की तरह ही सरकार को दहेज कानून को सख्ती से लागू करने की जरूरत है. साथ ही गांव-गांव में अभियान चला कर जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है. तभी दहेज प्रताड़ना और हत्या के मामलों पर अंकुश लगाना संभव हो पायेगा.
रणधीर कुमार सिंह, समाजशास्त्री, पटना विवि.
कानून में यह है सजा
दहेज प्रथा को समाप्त करने व उस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दहेज निषेद्य अधिनियम, 1961 बनाया गया है. इसके तहत देहज लेनेवाले को पांच वर्ष की कैद व 15 हजार रुपये तक के आर्थिक दंड का प्रावधान है.

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