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रेल किराया,चीनी के दाम में बढ़ोतरी सहित रसोई गैस में हर माह पांच रुपये व केरोसिन में एक रुपये तक की वृद्धि!

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रेलवे में बुधवार से सफर महंगा हो गया। सरकार ने 20 जून को यात्री किराया 14.2 फीसदी और माल भाड़ा 6.5 प्रतिशत बढ़ाने का जो फैसला लिया था, उस पर अमल 25 जून से होना था। उधर, पेट्रोलियम मंत्रालय ने रसोई गैस सिलेंडर और केरोसिन का भाव बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इसके तहत सिलेंडर हर माह पांच रुपए और केरोसिन 50 पैसे से एक रुपए लीटर तक महंगा किया जाना है।
रेलवे ने पहला यूटर्न लिया है। मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) की दरें दोगुना करने का फैसला वापस ले लिया है। अब 80 किमी तक द्वितीय श्रेणी की एमएसटी पुरानी दर पर ही मिलेगी। रेलमंत्री गौड़ा ने मंगलवार देर शाम ये फैसला किया। इससे पहले महाराष्ट्र से भाजपा और शिवसेना के 10 सांसदों ने रेलमंत्री से भेंट कर दरें कम करने को कहा था।
मंत्रालय ने प्रस्ताव प्रति सिलेंडर 5 रुपए का भेजा है, लेकिन इससे सब्सिडी खत्म होने में 7 साल लगेंगे। इसलिए सरकार की मंशा है प्रति सिलेंडर दाम 10 रुपए बढ़ाए जाएं। रसोई गैस के अलावा मंत्रालय ने पेट्रोल, डीजल और केरोसिन के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भी भेजा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के इन प्रस्तावों पर अब कैबिनेट बैठक में फैसला होगा। उधर खाद्य मंत्री के दावों के बावजूद चीनी पर आयात शुल्क २५ प्रतिशत तक बढ़ाने का असर दिखने लगा है। मंगलवार को इसके दाम दिल्ली में दो रुपए प्रति किलो तक कंपनियां चाहती हैं रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन के दाम तत्काल बढ़ाए जाएं। क्योंकि इराक संकट और गिरते रुपए की वजह से उनका घाटा बढ़ रहा है।
इसके बाद पेट्रोलियम मंत्रालय ने सरकार से दाम बढ़ाने की अनुमति मांगी। साथ हीसब्सिडी खत्म करने के लिए डीजल फॉर्मूला भी सुझा दिया ह
प्रस्ताव: रसोई गैस 10 रु., पेट्रोल 2 रु., डीजल 1 रु. तक महंगा हो
इस प्रस्ताव के पीछे तेल मंत्रालय का तर्क है कि उन्हें पेट्रोल पर 1.90 रु, डीजल पर 3.30 रुपए प्रति लीटर नुकसान हो रहा है। वहीं रसोई गैस पर सब्सिडी का बोझ बढ़कर 433 रुपए और केरोसिन पर 33 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया है।
कारण ये बता रहे हैं: इराक संकट से कच्चे तेल की कीमत 114 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 60.13 तक पहुंचा हुआ है। इससे खर्चा बढ़ता जा रहा है।भारत औसतन 2.5 करोड़ टन कच्चा तेल इराक से आयात करता है। यानी कुल आयात का 20 फीसदी। इस साल 1.87 करोड़ टन का ऑर्डर है। इसका करीब 50 फीसदी तेल भारत आ चुका है। बाकी बचे हिस्से की बड़ी खेप बसरा से आने वाली है। बसरा शहर दक्षिणी इराक में आता है। आतंकियों का कब्जा उत्तरी इलाके में है। बसरा से सप्लाई प्रभावित नहीं हुई है। इसके अलावा तेल मंगाने का करार सालाना होता है। यानी रोज की घटती-बढ़ती कीमत का इस पर कोई असर नहीं होता है।
असल मकसद है सब्सिडी का बोझ खत्म करना
रसोई गैस : एक सिलेंडर पर सरकार 433 रु. सब्सिडी देती है। हर माह 5 रुपए बढ़ाएंगे तो सब्सिडी खत्म होने में 7 साल लगेंगे। इसलिए सरकार हर महीने सिलेंडर को 10 रुपए महंगा करना चाहती है।
केरोसिन : 33 रु. प्रति लीटर की सब्सिडी दी जाती है। इस साल कुल 29,888 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। अगर हर माह एक रु. लीटर भाव बढ़ाया तो करीब ढाई साल लगेंगे सब्सिडी से मुक्त होने में।
ये है डीजल फॉर्मूला : डीजल पर हर माह 50 पैसे दाम बढ़ाते हैं। पिछले साल सितंबर में डीजल पर सब्सिडी 14.50 रु. थी, जो अब 1.62 रु. रह गई है।
चीनी इसलिए महंगी हो गई क्योंंकि स्टाक भरपूर है!
सोमवार को सरकार ने चीनी पर ड्यूटी बढ़ा दी। खाद्य मंत्री पासवान ने कहा-चीनी का स्टॉक भरपूर है। दाम नहीं बढ़ेंगे। लेकिन मंगलवार को चीनी दिल्ली में दो रुपए, भोपाल में 1 रुपए किलो तक महंगी हो गई।
फायदे की उम्मीद में व्यापारी चीनी का स्टॉक बाजार में नहीं ला रहे हैं। सोमवार को दिल्ली बाजार में सौ किलो वाली 13000 बोरियां आई थीं। सरकार के फैसले के बाद मंगलवार को 5000 बोरियां बाजार में आईं। इससे दाम बढ़ गए।
देश में चीनी की 695 मिलें हैं। औसतन हर साल 240 से 245 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन होता है। हमारे पास 75 से 90 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक है। कारोबारी हर साल 15 लाख मीट्रिक टन चीनी का आयात भी करते हैं। 15 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद यह चीनी देसी चीनी से सस्ती पड़ती थी। इसलिए सरकार ने आयात शुल्क बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया। ताकि देसी चीनी बाजार में बिके। इससे मिल मालिकों और गन्ना किसानों को फायदा होगा। लेकिन उपभोक्ताओं की कीमत पर।

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