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रिजर्व बैंक ने विदेशी निवेशकों के लिये मुद्रा वायदा कारोबार नियमों में ढील दी

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रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार को और व्यापक तथा गहरा बनाने के लिए आज विदेशी निवेशकों को घरेलू एक्सचेंज में होने वाले मुद्रा वायदा कारोबार (डेरिवेटिव) सौदों की अनुमति दे दी. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा ‘‘घरेलू विदेशी मुद्रा बाजार में नकदी और कारोबार बढाने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को घरेलू एक्सचेंज के मुद्रा वायदा कारोबार में भाग लेने की मंजूरी देने का फैसला किया है. इसके लिये उनके अंतर्निहित निवेश के अलावा एक करोड डालर के अतिरिक्त निवेश की सुविधा होगी.’’
केंद्रीय बैंक ने कहा ‘‘घेरलू इकाइयों को भी एक्सचेंज में होने वाले मुद्रा वायदा कारोबार में इसी तरह के सौदों की अनुमति देने का फैसला किया गया है.’’ बैंक ने कहा कि इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जल्द जारी किये जायेंगे. केंद्रीय बैंक ने पिछले साल जुलाई में मार्जिन राशि को दोगुना करने और एक्सचेंज में होने वाले मुद्रा वायदा एवं विकल्प सौदों की अधिकतम सीमा करने जैसे प्रतिबंध लगाये थे. यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में रुपया एक समय 68.85 रुपये प्रति डालर की रिकार्ड तलहटी तक गिर गया था.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राजग को चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने से नीतिगत पहले के लिए अनुकूल माहौल पैदा हुआ है और इससे आर्थिक हालात में बेहतरी में मदद मिलनी चाहिए यह बात आज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने कही.
आरबीआई की द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा जारी करते हुए राजन ने कहा कि प्रमुख संकेतकों से पता चलता है कि 2014-15 की पहली तिमाही में भी देश में आर्थिक गतिविधियों में धीमापन बरकरार है. कृषि की संभावना पर भी दक्षिण-पश्चिम मानसून की वर्षा में विलंब की छाया पड रही है.
26 मई को नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने के बाद यह केंद्रीय बैंक का यह पहला नीतिगत समीक्षा वक्तव्य है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने इसमें कहा है कि स्पष्ट जनादेश से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलनी चाहिए. राजन ने कहा, ‘‘चुनाव के निर्णायक परिणाम और धारणा में सुधार से व्यापक नीतिगत पहल के लिए अनुकूल माहौल बन सकता है.
इससे इस साल आगे चल कर सकल मांग में बढोतरी और वृद्धि में धीरे-धीरे सुधार हो सकता है. ’’ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राजग ने लोकसभा की 543 में से 336 सीट जीती है और पिछले 30 साल में पहली बार चुनाव-पूर्व गठजोड को स्पष्ट बहुमत मिला है. भारत की आर्थिक वृद्धि 2013-14 में लगातार दूसरे साल 5 प्रतिशत से कम 4.7 प्रतिशत पर रही जो 1984-85 से 1987-88 के दौर की याद दिलाती है.

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