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रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के फैसले की जिम्मेवारी सरकार के खाते में डाली

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नोटबंदी पर संसदीय समितियों के सवालों का सामना कर रहे रिजर्व बैंक ने इस मामले में जिम्मेवारी सरकार के खाते में डाल दी है. वित्त मामलों की संसदीय समिति को भेजे गये अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी का फैसला सरकार की सोच थी और जब उसके पास यह प्रस्ताव आया तो उसके पास अधिक उपयुक्त समय नहीं बचा था. आरबीआइ ने कहा है कि यह फैसला सरकार की सलाह पर लिया गया है और उसे इसके बारे में सात नवंबर 2016 को सूचना दी गयी कि 500 व 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बंद करना है.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि अारबीआइ बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को सहमति दे दी गयी. सात तारीख को आरबीआइ को प्रस्ताव भेजे जाने के अगले दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की रात आठ बजे 500 एवं 1000 रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित करने का एलान कर दिया और इसके पीछे उन्होंने कालाधन, भ्रष्टाचार, नकली नोट एवं आतंकवाद के प्रश्रय को रोकने को कारण बताया था.
मालूम हो कि इस फैसले पर सरकार व आरबीआइ पर सवाल उठाये जा रहे हैं. एक ओर जहां यह कहा जा रहा है कि सरकार ने इस फैसले के लिए संवैधानिक व संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया, वहीं आरबीआइ के लिए यह कहा जा रहा है कि उसने अपनी स्वायत्ता से समझौता कर लिया. हालांकि हाल में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि इस फैसले को लागू करने में सरकार ने सभी नियमों का पालन किया है. ध्यान रहे कि पूर्व में मोरारजी देसाई की सरकार ने पुराने नोटों को अध्यादेश के जरिये बंद किया था.
आइबीआइ ने वित्त मामलों की समिति को दिये जवाब में कहा है कि कुछ महीने पूर्व सरकार से उसका नये नोटों को लाने का करार हुआ था, ताकि कालाधन व आतंकवाद की फंडिंग पर लगाम लगायी जा सके. मई में सरकार ने उसे सलाह दी थी कि वह 2000 रुपये के नोटों को चलन में लाये.
नोटबंदी या विमुद्रीकरण पर संसद की सबसे ताकतवर समिति लोक लेखा समिति (पीएसी- पब्लिक एकाउंट कमेटी) ने रिजर्व बैंक और सरकार से इस संबंध में सवालों का जवाब पूछा है. पीएसी के अध्यक्ष केवी थॉमस ने कल ही कहा है कि समिति अगर विमुद्रीकरण के मुद्दे पर रिजर्व बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं होती है, तो इस मामले में वह प्रधानमंत्री को भी बुला सकती है. पीएसी ने आरबीआइ गर्वनर उर्जित पटेल से नोटबंदी पर दस सवाल पूछे हैं और 20 जनवरी को समिति की बैठक होनी है, जिसमें गवर्नर को पेश होना है.
नोटबंदी के मुद्दे पर आरटीआइ के जरिये प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ से सवाल पूछे गये थे, जिस पर जवाब दिया गया था. पीएमओ ने अपने जवाब में कहा था इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि इस मुद्दे पर किन अधिकारियों से विचार-विमर्श किया गया था.पीएमओ ने इस सवाल का भी जवाब देने से इनकार किया कि क्या इस मामले में वित्त मंत्री एवं मुख्य आर्थिक सलाहकार की राय ली गयी थी.

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