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राष्‍ट्रपति चुनाव पर रार,जदयू का पलटवार,कांग्रेस के अड़ि‍यल रवैये से मीरा बनीं उम्‍मीदवार=केसी त्यागी

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कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा सोमवार को यह कहे जाने पर कि राष्ट्रपति चुनाव में बिहार की बेटी मीरा कुमार को हराने का फैसला करनेवाले सबसे पहले शख्स नीतीश कुमार ही थे, पर जदयू ने पलटवार किया है. नबी के इस बयान के कुछ ही घंटे बाद जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह कांग्रेस के अड़ियल रवैये का नतीजा है. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के प्रत्याशी के रूप में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी का नाम लगभग तय था. लेकिन, कांग्रेस के अड़ियल रवैये के कारण उनके नाम की घोषणा नहीं हो सकी और अंत में मीरा कुमार का नाम तय किया गया.
केसी त्यागी ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि तीन जून को एम करुणानिधि के जन्मदिन पर विपक्ष के कई बड़े नेता चेन्नई में जुटे थे और वहीं पर गोपाल कृष्ण गांधी को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का प्रत्याशी बनाये जाने पर सहमति भी बन गयी थी, लेकिन कांग्रेस काे यह बात गले से उतरी नहीं, क्योंकि उसे अपनी पार्टी के किसी नेता को प्रत्याशी बनाना था. उन्होंने कहा, मीरा कुमार पर जदयू को कोई आपत्ति नहीं होती, यदि गोपाल कृष्ण गांधी से पहले मीरा कुमार का नाम राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी के रूप में आता.
श्त्यागी ने आगे कहा, गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर जदयू समेत डीएमके, टीएमसी, एनसीपी समेत कई दलों ने अपनी सहमति जतायी थी. यदि उनके नाम की घोषणा हो जाती, तो वे ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होते और राष्ट्रपति भी बनते. उस समय शिवसेना भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में नहीं थी. उन्होंने दावा किया कि 22 जून को दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक में एनसीपी, टीएमसी व जेडीएस कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में नहीं थे. शरद पवार अंतिम क्षणों तक डॉ भीमराव आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने पर अड़े रहे, लेकिन कांग्रेस के अड़ियल रवैये के कारण अंतत: मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद उम्मीदवार बनाया गया.
श्त्यगी ने कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रामनाथ कोविंद के बिहार के राज्यपाल रहते उनके प्रदर्शन, संवैधानिक मर्यादाओं का पालन, उनकी सादगी को देखते हुए एनडीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनाये जाने पर उन्हें समर्थन देने की घोषणा की है. इससे पूर्व नीतीश कुमार ने अपनी इस भावना से कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी को अवगत करा दिया था. इसमें न कोई रहस्य है और न कोई चाल.
त्यागी ने यह भी अपील की कि बिहार में जो महागंठबंधन है उसे कमजोर करने की साजिश नहीं हो. जनता ने जिन आदर्शों व कार्यक्रमों के लिए महागंठबंधन को जिताया है, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. त्यागी ने दो टूक कहा कि जदयू को किसी दल से धर्मनिरपेक्षता पर नीतिगत संबंधी फैसलों पर नसीहत की आवश्यकता नहीं है. पूरे देश को मालूम है कि धर्मनिरपेक्षता के उच्च आदर्शों को ध्यान में रखते हुए जदयू ने अपने सांसदों व विधायकों की संख्या बल को कुर्बान किया था. जदयू ने गंठबंधन व वादों के सिद्धांत की खातिर नुकसान उठाया है और हमारे सहयोगी मित्रों को फायदा मिला है.

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