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राज्यसभा उपचुनाव में जीते जदयू प्रत्याशी

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राज्यसभा उपचुनाव में दोनों सीटों पर जदयू ने जीत हासिल की है. गुरुवार को हुए मतदान के बाद पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार पवन कुमार वर्मा और मौलाना गुलाम रसूल बलियावी निर्वाचित हुए. चुनाव अधिकारी सह विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने दोनों की जीत की घोषणा की. पवन कुमार वर्मा को 122 वोट मिले, जबकि जदयू के दूसरे उम्मीदवार गुलाम रसूल ने 123 वोट हासिल किये. वहीं, पवन कुमार वर्मा के प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय अनिल कुमार शर्मा को 108, जबकि बलियावी के प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार साबिर अली को 107 वोट मिले.
उपचुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर क्रास वोटिंग हुई. सत्ताधारी दल जदयू के 18 विधायकों ने पार्टी ह्लीप का उल्लंघन कर निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डाले. वहीं, कांग्रेस के दो व राजद के तीन विधायकों ने निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में वोट दिया. विधानसभा की मौजूदा 232 सदस्यों में दो सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
भाजपा के रामेश्वर चौरसिया के देश से बाहर रहने और राजद के केदार सिंह के नाम वारंट होने के कारण वे वोट नहीं दे सके. मतदान के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधान परिषद स्थित अपने कक्ष में बैठे रहे. वहीं, जदयू अध्यक्ष शरद यादव विधानसभा परिसर स्थित मंत्री विजय कुमार चौधरी के कक्ष में बैठ कर बागी विधायकों की संख्या जानते रहे. सुबह के नौ बजे जब मतदान शुरू हुआ, तो सबसे पहला वोट विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने डाला.
राघवेंद्र प्रताप सिंह ने सबसे अंत में वोटिंग की. जदयू के 117 विधायकों ने वोटिंग की. वहीं, भाजपा के 83, राजद के 20, कांग्रेस के चार, पांच निर्दलीय और सीपीआइ के एक विधायक ने अपने मत का प्रयोग किया.
बिहार विधानसभा के वाचनालय परिसर स्थित मतदान केंद्र में सुबह नौ बजे से मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी. विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के बाद मंत्री श्याम रजक ने वोट दिया. इसके बाद राजद के 16 विधायक एक साथ पहुंचे और संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार के चैंबर में जाकर उनसे मुलाकात की और फिर एक साथ वोट डाला. दोपहर 12:40 बजे तक भाजपा के सभी विधायक अपना वोट डाल चुके थे. दोपहर 1:15 बजे मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपना वोट डाला. वे करीब 10 बजे ही विधानसभा पहुंच गये थे और 3:40 बजे तक रहे. करीब दो बजे विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव कार्यालयदोनों निर्दलीय प्रत्याशियों के कई प्रस्तावकों ने पाला बदल लिया और जदयू के पक्ष में वोट डाला. विधायक अन्नु शुक्ला, रेणु कुशवाहा, पूनम यादव ने भी जदयू प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया. मतदान के दौरान अजय नायक स्पेशल पर्यवेक्षक के रूप में तैनात थे. सत्तारूढ़ दल के दोनों प्रत्याशी गुलाम रसूल बलियावी और पवन कुमार वर्मा के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी साबिर अली और अनिल शर्मा पूरी सक्रियता से लगे रहे. पवन कुमार वर्मा समेत सत्ता पक्ष के मंत्री विधायकों का विधानसभा की गेट पर स्वागत कर रहे थे, जबकि जदयू के बागी नेता भी विधायकों को गोलबंद करते दिखे. उधर, पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधान परिषद् स्थित कार्यालय में मौजूद रहे, जबकि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपने आवास पर बैठ कर ही राज्यसभा उपचुनाव की पल-पल की जानकारी लेते रह
राज्यसभा उपचुनाव में जदयू प्रत्याशियों की जीत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी दलों और विधायकों को तहेदिल से धन्यवाद दिया है. नीतीश कुमार ने गुरुवार को फेसबुक पर अपने ताजा पोस्ट में लिखा कि सभी दलों व विधायकों के समर्थन ने न केवल बिहार को राजनीतिक स्थिरता दी है, बल्कि हमारे राज्य की लोकतांत्रिक परंपरा को कलुषित होने से भी बचाया है. बिहार की लोकतांत्रिक राजनीति ने इस तरह का षड्यंत्र, सौदेबाजी और जोड़-तोड़ आज तक नहीं देखा था, जो भाजपा ने इस उपचुनाव में किया. लोकसभा में बिहार और देश को अच्छे दिन आने का झांसा देनेवाली भाजपा जीतने के बाद से बिहार को बुरे दिनों में धकेलने की साजिश रच रही है.
अच्छे दिन जिम्मेदारी निभाने से, सिद्धांत और नैतिकता के अनुसार आचरण करने से और लोकतंत्र को मजबूत करने से आते हैं, लेकिन भाजपा की साजिश, सौदेबाजी और जोड़-तोड़ की कुत्सित राजनीति से क्या बिहार में अच्छे दिन आ जायेंगे? ऐसे निंदनीय प्रयासों से भाजपा बिहार की जनता को धोखा दे रही है. अगर देश में भाजपा इस तरह के हथकंडों से अच्छे दिन लाने का प्रयास करेगी, तो भारत के लोग उसे माफ नहीं करेंगे. बिहार ने राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा को परास्त कर इस रुख का एक नमूना पेश किया है
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने रास उपचुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की. उन्होंने उपचुनाव में जदयू उम्मीदवारों को समर्थन देने को आगामी विधानसभा चुनाव में राजद-जदयू के बीच गंठबंधन की नींव करार दिया. साथ ही राजद के विधायकों के क्रॉस वोटिंग की जांच कर ऐसा करनेवालों को पार्टी से बाहर करने की चेतावनी भी दी.
लालू प्रसाद ने सवाल किया कि भाजपा की गोद में बैठनेवाले 20-22 विधायकों को किसने प्रभावित किया. ऐसे लोगों के घरों पर छापा मार कर उपचुनाव में पैसे के लेन-देन के साक्ष्य जुटाये जाएं. उन्होंने कहा कि निर्दलीय उम्मीदवारों की नहीं, बल्कि सीधे भाजपा की हार हुई है. उन्होंने भाजपा की हार को अपना उद्देश्य बताते हुए कहा कि मैं चुनाव हार सकता हूं, लेकिन आदर्श नहीं छोड़ूंगा. उन्होंने उपचुनाव के परिणाम को बिहार द्वारा देश की राजनीति को नयी दिशा देनेवाला करार दिया. लालू प्रसाद ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विचारों के आधार पर मतभेद की बात स्वीकारते कहा कि उनके (नीतीश) कारण ही भाजपा सूबे में पांव पसार पायी. लेकिन, साथ ही लालू प्रसाद ने स्पष्ट किया कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजद और जदयू के बीच गंठबंधन की नींव पड़ गयी. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जदयू और राजद के वोट को जोड़ दें, तो 43 फीसदी मत होता है, जबकि भाजपा को महज 31 फीसदी वोट मिले.
भाजपा के वरीय नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, नीतीश कुमार जीत कर भी हार गये. उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. जंगलराज के पर्याय रहे लालू प्रसाद से हाथ मिलाना पड़ा. जदयू में विद्रोह खुल कर सामने आ गया है. आनेवाले दिनों में दल व सरकार बचाने के लिए नीतीश और कई समझौता करेंगे. जदयू के बिखराव की यह शुरुआत है.

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