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राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए लालू ने 10वीं बार दाखिल किया नामांकन, मोदी सरकार पर साधा निशाना

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए लालू प्रसाद ने 10वीं बार नामांकन पत्र दाखिल किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश के सामने जो चुनौती है, वही राजद के समक्ष भी है. लालू प्रसाद ने पटना स्थित राजद के प्रदेश कार्यालय में निर्वाची पदाधिकारी जगदानंद सिंह के समक्ष नामांकन पत्र दाखिल किया. इसके बाद संवाददाताओं से बातचीत में लालू ने देश में तानाशाही और आपातकाल जैसी स्थिति होने का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र की सरकार हवाबाजी वाली सरकार साबित हुई है.
लालू प्रसाद यादव ने आरोप लगाया कि बिना सोचे समझे नोटबंदी का निर्णय लिया गया, उसका खमियाजा हर तबके को भुगतना पड़ रहा है. लालू ने जीएसटी को वापस लिए जाने की मांग करते हुए दावा किया कि देश में अधिकांश लोग अभी उतने शिक्षित नहीं हैं कि कैशलेस लेनदेन कर सकें.
होटल के बदले भूखंड मामले में सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किये जाने, मुखौटा कंपनी और बेनामी संपत्ति को लेकर ईडी और आयकर विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए लालू ने आरोप लगाया कि ये जानबूझकर हमको और हमारे परिवार के सदस्यों को घेरने की कोशिश है. उन्होंने कहा, हम घिरने वाले नहीं है और इनकी बंदरघुडकी से डरने वाले भी नहीं हैं.
वहीं, राजद के निर्वाची पदाधिकारी जगदानंद सिंह ने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष पद के निर्वाचन को लेकर औपचारिक तौर पर 21 नवंबर को घोषणा की जायेगी. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि किसी अन्य व्यक्ति के नामांकन करने की संभावना नहीं है. ऐसे में लालू की जीत को निश्चित बताते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का वर्तमान और आने वाले कार्यकाल कठिन चुनौतियों से भरे हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या वे अपने को स्वयं इस पद के लिए योग्य नहीं मानते, रघुवंश ने कहा, लोकतंत्र है, केवल योग्यता रखने से नहीं होता है इसके लिए समर्थन चाहिए. हमलोगों का नाम कोई नहीं बोलता है ऐसे में हम कैसे. विरोधियों के राजद में परिवारवाद के हावी होने तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर बार बार लालू प्रसाद के ही चुने जाने पर प्रश्न खड़ा किये जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि जो भी विरोधी लोग ऐसा बोलते हैं वे हमारी पार्टी में शामिल होकर नामांकन दाखिल करें.
1997 में पहली बार बने थे पार्टी अध्यक्ष
जनता दल से टूटकर लालू ने पांच जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल की बुनियाद रखी थी. नयी पार्टी के वह पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किये गये थे. इसके बाद पार्टी में संगठन चुनाव की परंपरा शुरू की गयी. निचले स्तर पर यह अभी भी जारी है, किंतु शीर्ष स्तर पर सबकुछ निर्विरोध हो जाता है. लालू के नाम और काम के आगे पार्टी के दूसरे नेताओं के कद-पद छोटे पड़ जाते हैं. चारा घोटाले में अक्टूबर 2013 में जेल जाने के बाद लगने लगा था कि राजद को नया नेतृत्व मिलने वाला है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत कुछ नेताओं के नाम उछाले गये थे, किंतु लालू का विकल्प बनना किसी के लिए आसान नहीं था.

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