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रबी प्याज की उन्नत खेती

कृषि / पर्यावरण

भूमि का चुनाव
प्याज को विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए दोमट या बुलई दोमट मिटटी, जिसमें जीवंाश्म पदार्थ की प्रचुर मात्रा व जल निकास की उत्तम व्यवस्था हो साथ ही मृदा का पी.एच.मान सामान्य (6.5-7.5) हो सर्वोतम मानी जाती है।
खेत की तैयारी
खेत में पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करने बाद 2-3 जुताई देशी हल अथवा हैरो द्वारा करें जिससे की मिट्टी के नीचे कठोर परत टूट जाएं तथा मिट्टी भुरभुरी बन जाए। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगायें।
उन्नतशील किस्में
एग्रीफाउंड लाईट रेड, एग्रीफाउंड व्हाईट, पूसा माधवी, एग्रीफाउंड डार्क रेड, एन. 53, पूसा रेड, अर्का प्रगति,
खाद उर्वरक
रबी प्याज में खाद एवं उर्वरक की मात्रा जलवायु व मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है। अच्छी फसल लेने के लिये 20-25 टन अच्छी सड़ी गोबर खाद प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की अंतिम तैयारी के समय मिला दें। इसके अलावा 100 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। नत्रजन की आधी मात्रा और फास्फोरस व पोटाश की संपूर्ण मात्रा रोपाई के पहले खेत में मिला दें। नत्रजन की शेष मात्रा को 2 बरबर भागों में बांटकर रोपाई के 30 दिन तथा 45 दिन बाद छिड़क कर दें। इसके अतिरिक्त 50 किलोग्राम सल्फर व 5 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के पूर्व डालना भी उपयुक्त रहेगा।
बीज दर व बुवाई
बीज की मात्रा 8-10 किलो/हेक्टेयर
बीज बोने का समय
सितम्बर- अक्टूबर
पौध रोपण का समय
दिसम्बर – जनवरी
नर्सरी में पौध तैयार करना
रबी प्याज की उन्नत किस्म के बीज को 3 मीटर लम्बी, 1 मीटर चौड़ी व 20-25 से.मी. ऊंची उठी हुई क्यारियां बनाकर बोनी करें । 500 मीटर वर्गक्षेत्र में तैयार की गई नर्सरी की पौध एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होती है। प्रत्येक क्यारी में 40 ग्राम डी.ए.पी., 25 ग्राम यूरिया, 30 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश व 10-15 ग्राम फ्यूराडान डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। सितम्बर अक्टूबर माह में क्यारीयों को तैयार कर क्लोरोपाईरीफॉस (2 मिली./ लीटर पानी) कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) को धोलकर क्यारी की मिट्टी को तर कर 250 गेज मोटी सफेद पॉलिथिन बिछाकर 25-30 दिनों तक मिटटी का उपचार कर लें। इस विधि से मिटटी को उपचारित करने को मृर्दा शौर्यीकरण कहतें है। ऐसा करने पर मिटटी का तापमान बढऩे से भूमि जनित कीटाणु एंव रोगाणु नष्ट हो जाते है। बीजों को क्यारियों में बोने से पूर्व थायरम या कार्बोसिन/बाविस्टीन नामक फफूंदनाशक दवा से 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। उपचारित बीजों को 5-10 सेमी. के अंतर पर बनाई गई कतारों 1सेमी. की गहराई पर बोएं। अंकुरण के पश्चात पौध को जडग़लन बीमारी से बचाने के लिए 2 ग्राम थायरम 1 ग्राम बाविस्टीन दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। बुआई के लगभग 7-8 सप्ताह बाद पौध खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाती है।
पौध रोपण
खेत में पौध रोपाई से पूर्व पौध की जड़ों को बाविस्टीन दवा की 2 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी के धोल में 15-20 मिनट डुबोकर रोपाई करें ताकि फसल को बैगनी धब्बा रोग से बचाया जा सकें। रोपाई करते समय कतारों से कतारों के बीच की दूरी 20 सेमी. तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी. रखें। इस प्रकार एक हेक्टर में 5 लाख पौधे रहेंगे।
सिंचाई
प्याज की फसल में सिंचाई की आवश्यकता मृदा की किस्म, फसल की अवस्था व ऋतु पर निर्भर करती है। पौध रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्यकरें तथा उसके 2-3 दिन बाद फिर हल्की सिंचाई करें जिससे की मिट्टी नम बनी रहे व पौध अच्छी तरह से जम जायें। प्याज की फसल में 10-12 सिंचाई पर्याप्त होती है। कन्द बनते समय पानी की कमी नही होना चाहिए। बहुत अधिक सिंचाई करने से बैंगनी धब्बा रोग लगने की सम्भावना हेाती है जबकि अधिक समय तक खेत में सूखा रहने की स्थिति में कन्द फटने की समस्या आ सकती है। खुदाई से 15 दिन पहले सिंचाई बन्द कर देना चाहिए। टपक विधि के द्वारा सिंचाई करने से उपज मे 15-20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 40-50 प्रतिशत पानी की बचत होती हैै।
निंदाई-गुड़ाई
फसल को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को निकालते रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त खरपतवारनाशी जैसे स्टाम्प 30 ई.सी. का 3 लीटर/ हेक्टेयर की दर से रोपाई के 2-3 दिन बाद छिडकाव करें। खड़ी फसल में यदि सकरी पत्ती वाले नींदा अधिक हो तो क्वीजालोफॉप ईथाइल 5 ईसी के 400 मि.ली./हेक्टर के मान से करें।
खुदाई
जब 50 प्रतिशत पौधो की पत्तियॉ पीली पड़कर मुरझाने लगे तब कंदों की खुदाई शुरू कर देना चाहिये। इसके पहले या बाद में कंदों की खुदाई करने से कंदों की भण्डारण क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उपज
रबी फसलों से औसतन 250-300 क्विंटल/हैक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है।
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भण्डारण
आमतौर पर खरीफ की तुलना में रबी प्याज में भण्डारित करने की आवश्यकता ज्यादा होती क्योंकि यह बाजार में तुरंत कम बिकता है। प्याज को भण्डारित करते समय निम्न सावधानियां रखना चाहिए।
1. भण्डारण से पहले कंदों को अच्छी तरह सुखा लें द्य अच्छी तरह से पके हुए स्वस्थ (4-6 सेमी आकार) चमकदार व ठोस कंदों का ही भण्डारण करें। 2. भण्डारण नमी रहित हवादार गृहों में करें। द्य भण्डारण में प्याज के परत की मोटाई 15 सेमी. से अधिक न हों।
3. भण्डारण के समय सड़े गले कंद समय-समय पर निकालते रहना चाहिए।

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