मेरे विचार
अर्थव्यवस्था, ताज़ा ख़बर, प्रमुख ख़बरें, बिहार, सम्पादकीय May 4, 2014 , by ख़बरें आप तकसुरक्षा में दया ठीक नहीं बहुत कुछ खोने के बाद जागने की परंपरा का निर्वहन हमारी सरकारें कब तक करतीं रहेंगी। पिछले 62 वर्षो से हमने बहुत कुछ खोया है और आज भी खोते चले आ रहे हैं कब तक यह क्रम चलता रहेगा, निरीह, बेकसूर की नियति ही मरने की है। प्रश्न उठता है कि क्या सरकार की नाम की कोई संस्था देश में नहीं है उसके क्या-क्या कर्तव्य है? मात्र मरने वालों के परिजनों को एवज में कुछ रुपए दे देने से सरकार और राज्य का कर्तव्य पूरा हो जाता है। सरकार की वर्तमान सोच किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराई जा सकती जिस राज्य में आम जनता को सुरक्षा नहीं उपलब्ध हो पाए वह राज्य कभी भी विकसित नहीं हो पायेगा । राज्य व सरकार का आधारभूत कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा उपलब्ध करवाये और अपने राज्य में कानून राज कायम करे। इसके लिए आन्तरिक और बाहरी शत्रु में भेद नहीं किया जा सकता। जिस सरकार ने बाहरी और आन्तरिक शत्रुओं ने भेद किया वहां कभी भी कानून का राज्य संस्थापित नहीं हो सकता। शत्रु तो शत्रु होता है शत्रु के साथ सहानुभूति आत्मघाती होती है। शायद यही कारण है कि हमारे यहां आन्तरिक शत्रुओं के हौंसले बुलन्द है। इसी प्रकार अपराध छोटा और बड़ा नहीं होता है। आज जो छोटा (माइनर) अपराध है वहीं कल बड़ा अपराध करने के लिए प्रोत्साहित हो सकता है इसलिए अपराधी की मनोवृçत्त को संरक्षित नहीं किया जाना चाहिए छोटे से अपराध के लिए कठोरतम दण्ड का प्रावधान जरूरी है। इतिहास साक्षी है जिन देशों में कठोर दण्ड प्रक्रिया लागू है वहां पर अपराध का रेशो बहुत कम है कई ऐसे राष्ट्र हैं जहां पर चोरी नहीं होती है उन लोगों ने ऐसी व्यवस्था स्थापित कर रखी है कि वहां रहने वाले अपराध करने की हिमत ही नहीं कर पाते। हम ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रहे हैं। निश्चिततौर से हमारे अन्दर कुछ कमियां हैं। उन्हीं कमियों का फायदा आपराधिक तत्व उठाते आ रहे हैं। देश-प्रदेश में आतंकवादियों की हरकतें बढ़ रही हैं। आपराधिक घटनाओं में वृद्धि, नक्सलवादी स्कूल भवन और रेलपटरियों को विस्फोटों से उड़ा रहे हैं। सड़क यातायात बाधित कर रहे हैं। अलगाववादी शçक्तयां सिर उठाने लगी हैं हमारे अड़ोसी-पड़ोसी देश को तोड़ने सरहदों पर हरकतें करने लगे हैं। सीमा पर बंकरे खुदने लगी हैं सेनाओं का जमावड़ा होने के लिए दो पड़ोसी तैयार बैठे हैं। चीन और पाकिस्तान दो तरफा हमले की तैयारी में है। ऐसी स्थिति में हम आन्तरिक और बाहरी दोनों ही शत्रुओं से घिरे हुए हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में सरकार और प्रशासन का वर्तमान रवैया अक्षय है। हमको बाहरी और आन्तरिक दोनों ही मोर्चे पर डटकर मुकाबला करने के तैयार रहने की जरूरत है। अपराध छोटा हो या बड़ा दण्ड का प्रावधान किया जाना आवश्यक है। कुछ खोकर जागने की प्रवृçत्त से हमको बाहर निकलना ही पड़ेगा। हमको नये सिरे से देश के निर्माण के लिए आधारभूत कार्यक्रम बनाना पड़ेगा। सरकार चाहे वह सप्रंग की हो या अन्य किसी की हम सबको मिलकर इस दिशा में विचार करने और उसको अमल करने का समय आ गया है। कि हमको मिल बैठकर पड़ोसियों को सबक सिखलाना ही पड़ेगा। इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अतिरिक्त सुरक्षा के क्षेत्र में किसी प्रकार का दयाभाव सरकार को नहीं बरतना चाहिए। नक्सलवादियों से निपटने के लिए एक साथ कार्यवाही की जानी ही श्रेष्ठ कर है चाहेकोई भी प्रदेश हो सब में एक साथ कार्यवाही हो। निकट भविष्य में नक्स्लवादियों को नेस्तनाबूद करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसका हमारे पड़ोसियों पर असर पड़ेगा।
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