मुलायम ने शिवपाल को बनाया अध्यक्ष, अखिलेश ने अहम विभाग वापस लिए
आमने सामने, उत्तर प्रदेश, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार September 13, 2016 , by ख़बरें आप तकसमाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मंगलवार को देर शाम अचानक हुए घटनाक्रम में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के स्थान पर कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। इसके दो घंटे बाद ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल के कमोबेश सभी महकमे छीन लिए और उन्हें समाज कल्याण के साथ भूमि विकास एवं जल संसाधन का कार्यभार दिया गया है।
मुलायम सिंह ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला दीपक सिंघल को पद से हटाने के करीब आठ घंटे बाद शाम 7 बजे लिया। इस फैसले की घोषणा सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने की। मुलायम सिंह के इस अप्रत्याशित फैसले के करीब दो घंटे बाद ही रात 9 बजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक चिट्ठी राजभवन भेजी। इसमें कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के सात विभागों का प्रभार कम करने की राज्यपाल से सिफारिश की गई। राज्यपाल ने भी इसे अविलंब मंजूर करते हुए अधिसूचना जारी कर दी।
अखिलेश ने शिवपाल से लोक निर्माण विभाग लेकर खुद अपने पास रख लिया। होमगार्ड व प्रांतीय रक्षक दल मंत्री अवधेश प्रसाद को सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण का प्रभार दिया गया। वहीं माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को भी शिवपाल के महत्वपूर्ण विभाग राजस्व, अभाव, सहायता एवं पुर्नवास व लोक सेवा प्रबंधन विभाग और सहकारिता का कार्यभार दे सौंप दिया गया।
बलराम को भी मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले कौमी एकता दल से विलय को लेकर बर्खास्त कर दिया था लेकिन बाद में उनकी वापसी हो गई थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने शिवपाल यादव को भूमि विकास एवं जल संसाधन, परती भूमि विकास और समाज कल्याण विभाग का कार्यभार दिया है। इस फैसले को लेकर भी सत्ता के गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं तेज गई हैं।
मुलायम सिंह यादव के अप्रत्याशित फैसले को अखिलेश यादव द्वारा मुख्य सचिव दीपक सिंघल को मंगलवार की सुबह हटाए जाने से जोड़ कर देखा जा रहा है। असल घटनाक्रम की शुरुआत सोमवार को प्रदेश सरकार के दो कद्दावर मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति व राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी से हुई। अखिलेश यादव ने गायत्री और राज किशोर को पद से हटाने का जो फैसला किया उसकी वरिष्ठ नेताओं को जानकारी नहीं थी।
दिल्ली में मौजूद मुलायम सिंह यादव ने बयान दिया कि मुख्यमंत्री ने दोनों मंत्रियों को हटाने का फैसला उनसे पूछ कर नहीं लिया। पार्टी में चर्चा रही कि शिवपाल सिंह यादव के अलावा अमर सिंह और राम गोपाल यादव ने इस मुद्दे पर मुलायम सिंह से दिल्ली में मुलाकात कर एतराज जताया था।
मुख्य सचिव दीपक सिंघल जो अमर सिंह, मुलायम सिंह और शिवपाल की पसंद माने जाते रहे, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें हटाकर आनन-फानन में प्रमुख सचिव वित्त रहे राहुल प्रसाद भटनागर को पदभार ग्रहण करवा दिया।
इस फैसले में भी ठीक वैसे ही हुआ जैसे दोनों मंत्रियों को हटाने के दौरान हुआ था, यानी पार्टी के किसी नेता को इसकी भनक नहीं लगी। मुख्य सचिव दीपक सिंघल खुद नोएडा में थे।
इस घटनाक्रम के बाद मंगलवार को भी दिल्ली में न केवल दीपक सिंघल ने मुलायम सिंह से मुलाकात की बल्कि चर्चा रही कि अमर सिंह भी मुलायम सिंह यादव से मिले। शाम होने से पहले ही शिवपाल सिंह यादव ने यह बयान दिया कि मुख्यमंत्री चाहे जिसे हटाएं, चाहे जिसे मंत्रिमंडल में रखे यह उनका विवेकाधिकार है लेकिन मंगलवार की शाम अंधियारा होते-होते दिल्ली में बैठे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक और चौंकाने वाला फैसला कर डाला।
उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ले ली। इस संबंध में पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने शिवपाल सिंह को पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया है।
इससे पहले शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था और उसके कुछ दिनों के बाद पार्टी का प्रदेश प्रभारी बना दिया गया। शिवपाल सिंह को अध्यक्ष का पद सौंपने से पहले मुलायम सिंह ने नई दिल्ली में अपने आवास पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया।
इसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव और सांसद अमर सिंह भी शामिल हैं। बैठक में तय हुआ कि आने वाले विधानसभा चुनाव में संगठन की अगुवाई शिवपाल सिंह यादव करेंगे।
इसके दो घंटे बाद ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल के कमोबेश सारे महकमों का प्रभार बदलने का फैसला कर डाला।
शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी दूर करने की कोशिश
सूत्रों की मानें तो इस फैसले से सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। कौमी एकता दल के सपा में विलय के मुद्दे पर भी उनकी किरकिरी हुई थी। इसी तरह दोनों मंत्रियों की बर्खास्तगी व मुख्य सचिव को हटाए जाने के फैसले से भी उनकी नाराज होने की संभावना जताई जा रही है।
मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से मुक्त करके उनकी सीमा भी तय कर दी है। जाहिर है कि अभी तक वह संगठन व सरकार दोनों ही मामलों में अकेले फैसले लेने के लिए अधिकृत थे।
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