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मुजफ्फरपुर की शाही लीची को मिली नई पहचान, मिला GI टैग

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मुजफ्फरपुर की शाही लीची को को अब एक और खास पहचान मिली है.’शाही लीची’ को अब राष्ट्रीय स्तर पर ये नर्इ् पहचान मिली है. जानकारी के अनुसार बौद्धिक संपदा कानून के तहत मुजफ्फरपुर की शाही लीची को अब जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन (जीआई) का टैग दे दिया गया है.टैग दे दिया गया है. इस टैग को हासिल करने के लिए बिहार लीची उत्पादक संघ ने जून 2016 में रजिस्ट्री ऑफिस में आवेदन किया है.
इस टैग के मिलने के बाद मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक विशालनाथ ने बताया कि इस टैग के मिलने के बाद शाही लीची की बिक्री में नकल या गड़बड़ी की संभावनाएं काफी कम हो जाएंगी. जानकारी के लिए बता दे कि बिहार में 32 से 34 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लीची का उत्पादन किया जाता है. वहीं देश में होनेवाले लीची उत्पादन का 40 फीसदी उत्पादन बिहार में होता है.
बिहार में कुल 300 मैट्रिक टन लीची का उत्पादन किया जाता है.वहीं बिहार में होनेवाले कुल लीची उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन मुजफ्फरपुर जिले में होता है. मुजफ्फरपुर में 18 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लीची का उत्पादन होता है. जिसमें से करीब 12 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में शाहीं लीची का उत्पादन किया जाता है. मुजफ्फरपुर अपने शाही लीची के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.यहां से देश-दुनिया के लगभग हर हिस्सों में शाही लीची भेजी जाती है.
क्या है GI टैग
GI टैग किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है. GI टैग उसी उत्पाद को दिया जाता है, जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है. देश में पहला पहला जीआई टैग दार्जिलिंग की चाय को साल 2004-05 में दिया गया था.

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