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मीडिया के चक्कर में ना फंसे महागठबंधन के नेता,बिना समझे ना दें जवाब-नीतीश

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन विधानमंडल दल की बैठक में तीनों दलों के नेताओं को कई निर्देश दिये. मुख्यमंत्री ने उनसे मिलकर रहने और चुपचाप काम करने की बात कही. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने वैसे विधायकों और नेताओं को नसीहत भी दी, जो ज्यादातर मीडिया में बयानबाजी करते हैं. नीतीश कुमार ने साफ कहा कि मीडिया के सवालों से बच कर रहें. मीडिया का काम ही है लीडिंग प्रश्न करना. नीतीश ने हिदायत देते हुए कहा कि जो आप जवाब देंगे उसमें से दो लाइन ही मीडिया लेता है. इसलिए उनके ज्यादा चक्कर में ना पड़े. नीतीश ने साफ कहा कि बिना समझे कुछ ना बोलें. यह सब जानबूझकर फंसाने के लिये भी होता है. उन्होंने तीनों दलों के नेताओं को साफ कहा कि जरूरी नहीं कि सभी सवालों के जवाब दिया जाये.
विपक्ष पर बरसने की खुली छूट
मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर महागठबंधन के नेताओं कहा कि बिहार में विपक्ष को सच्चाई से कोई मतलब नहीं है. उन्हें सिर्फ बोलना है और वह बोलते रहते हैं. उन्हें मीडिया में जगह लेने की जरूरत होती है. सदन के बाहर भी बोलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए महागठबंधन के जो भी मंत्री और प्रवक्ता या पदाधिकारी जो सदन के सदस्य हैं वह खुलकर बोलें और विपक्ष को जवाब दें. नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेताओं को निर्देश देते हुए कहा कि यह सभी तय कर लें कि कौन कहां बोलेगा. सीएम ने कहा कि शिक्षा मंत्री हों या फिर उपमुख्यमंत्री मीडिया और टीवी में सिर्फ विपक्ष को ही स्पेस क्यों मिलेगा. विपक्ष को तुरंत जवाब दिया जाये.
सदन में उपस्थित रहें सदस्य-सीएम
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि सदन में संख्या बल भी ज्यादा रहे और सदन में भी सदस्य स्पेस लें. उन्होंने संबंधित मंत्रियों को सभी विधायकों को अपने मंत्रालय के विकास से संबंधित नोट्स देने के सुझाव भी दिये. उन्होंने सभी सदस्यों से उपस्थिति बढ़ाने की अपील की. मुख्यमंत्री ने विधायकों से राज्यपाल के अभिभाषण को गौर से पढ़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि बिहार में जो भी विकास का कार्य हो रहा है, उसकी पूरी जानकारी महागठबंधन के सदस्यों को हो. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में एकजुटता पर चर्चा करें. कोई शिकायत या फिर तकलीफ है तो सार्वजनिक रूप से बाहर नहीं करें बात, सरकार व पार्टी फोरम में अपनी बात को रखें. मुख्यमंत्री ने संबंधित मंत्रियों को सवालों के जवाब तैयार करने का कार्य भी सौंपा. ध्यानाकर्षण और प्रश्नोत्तर काल में भी उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए.

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