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महत्वपूर्ण नगदी फसलों में मिर्च के महत्व

कृषि / पर्यावरण

देश के हर घर में उपयोग की जाने वाली मिर्च अपने उत्पत्ति स्थल दक्षिण अमेरिका जहां यह 7500 वर्ष ईसा पूर्व से उगाई जा रही है। 17वीं शताब्दी में भारत आई और इसका इतना सघन विस्तार हुआ कि विश्व की लगभग 30 प्रतिशत मिर्च देश में उगाई जा रही है। यह सोलेनेसी कुल का पौधा है तथा महत्वपूर्ण नगदी फसलों में से एक माना जाता है। इसका उपयोग भोजन में सब्जियों के अलावा अचार, चटनी, सलाद में भी किया जाता है। इसमें विटामिन ‘ए एवं ‘सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन सी की मात्रा तो इसमें संतरे की तुलना में तीन गुना होती है। मसाले के अलावा इसका उपयोग औषधियों में तथा अन्य खाद्य पदार्थों को रंगने में भी किया जाता है। सूखी लाल मिर्च का व्यवसाय होता है। मध्यप्रदेश के अलावा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा तथा तमिलनाडु में भी इसे नगदी फसल के रूप में लगाकर इसका व्यवसाय किया जाता है। भारत में मिर्च के कुल उत्पादन का 2.5 से 3 प्रतिशत भाग निर्यात होता है। प्रदेश में इसका क्षेत्र 1 लाख 40 हजार हेक्टर है और उत्पादन 12 लाख टन है। उत्पादन के प्रमुख जिले मालवा क्षेत्र से है। निमाड़ में भी इसका उत्पादन अधिक होता है। सब्जी के रूप में और आंगनबाडिय़ों में जो उत्पादन होता है उसका क्षेत्र अलग ही होता है। मिर्च वर्ष में तीन बार लगाई जाती है। बरसात, ग्रीष्मऋतु और शरद ऋतु में। ग्रीष्मऋतु की मिर्च को पकाकर सुखाकर उसका विक्रय किया जाता है। होता यह है कि इस नगदी फसल की पौधशाला में इसकी नर्सरी के रखरखाव पर यदि अच्छा प्रबंध कर लिया जाये तो सरलता से इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
पौध संरक्षण जैसे कि अन्य फसलों को कीट-रोग हानि पहुंचाते हैं ठीक उसी प्रकार मिर्च पर भी रोग-कीट कोई कम नहीं आते हैं। यदि हम मिर्च के बीज से शुरू करें तो आपको विश्वास नहीं होगा जीभ पर रखने भर से तीखापन उत्पादन करने की क्षमता रखने वाले बीजों पर 10-12 प्रकार की फफूंदी रहती है जिनका नियंत्रण यदि नर्सरी में लगाने के पूर्व नहीं किया गया तो वे कोमल पौध से लेकर बड़े पौधों तक पीछे नहीं छोड़ती है। इस कारण बुआई पूर्व बीज का उपचार नर्सरी के लिये चयनित भूमि का उपचार दोनों ही अत्यंत आवश्यक क्रियायें है जिन्हें अधिकांश कृषक नहीं करते। थ्रिप्स व माइट इसके भयानक रोग ‘चुडर्-मुडर् रोग के कारण हैं जिससे पौधों का ऊपरी भाग गुच्छे में बदल जाता है और फूल-फल दोनों नहीं आ पाते हैं। इन पर पैनीनजर रखना जरूरी होगा ताकि उपचार के पहले बचाव हो सके मिर्च में पोषक तत्व प्रबंध, सिंचाई प्रबंध तथा पौध संरक्षण प्रबंध करके उसके उत्पादन को बढ़ाकर अधिक से अधिक पैसा कमाया जाना कोई असंभव बात नहीं होगी। ध्यान रहे मिर्च जितनी तीखी होगी। पैसा उतना ही अधिक मिलेगा यही है मिर्च की सच्चाई।

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