

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात न करें नीतीश कुमार, नहीं तो उनकी पोल खुल जायेगी : शिवानंद
आमने सामने, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, प्रमुख ख़बरें, बड़ी ख़बरें, बिहार July 26, 2017 , by ख़बरें आप तकबिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. सभी दलों ने अपने-अपने विधायकों की बैठक अलग से बुलायी है. 28 जुलाई यानी गुरुवार से बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. इन सबके बीच लालू यादव के करीबी और पूर्व राज्यसभा सांसद शिवानंद तिवारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी के मसले पर बात करते हुए एक क्षेत्रीय चैनल से कहा है कि नीतीश बोल रहे हैं कि लोगों के बीच बताएं. उनके प्रवक्ता बोल रहे हैं कि सभी सवालों का जवाब दें. नीतीश का कोर्ट है क्या ? क्या सीबीआई ने उनको आउटसोर्स किया है. शिवानंद ने इससे भी बड़ी बात कहते हुए कहा कि नीतीश का भ्रष्टाचार का जीरो टॉलरेंस ढोंग है. नीतीश क्या दूध के धुले हैं ? अगर भेद खुला तो गड़े मुर्दे उखड़ेंगे.
शिवानंद तिवारी ने बातचीत में कहा कि हम चाहते हैं कि नीतीश देश के गठबंधन का नेतृत्व करें, लेकिन उनके नेता डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से जिस तरह जवाब की मांग कर रहे हैं, वो 27 अगस्त को राजद की रैली में दिया जायेगा. शिवानंद ने साफ कहा कि जीरो टॉलरेंस की बात नीतीश कुमार न करें नहीं तो उनकी पोल खुल जाएगी. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो शिवानंद तिवारी का यह बयान काफी मायने रखता है. इससे पूर्व भी शिवानंद तिवारी ने नीतीश कुमार पर सोशल मीडिया के जरिये हमला बोला था.
नीतीश कुमार चाहते हैं कि सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में अभियुक्त बनाये गये उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव 29 जुलाई तक स्वयं ही इस्तीफा दे दें. वहीं दूसरी ओर, जानकार कहते हैं कि लालू यादव के लिए परिवार सर्वोपरि है. तेजस्वी यादव को लालू यादव अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का एलान कर चुके हैं, ऐसे में वह तेजस्वी को सुरक्षित करने के लिए हर तरह के उपाय करेंगे. वहीं, उनके मसले पर जदयू की ओर से किसी नेता ने प्रतिक्रिया देने से इनकार किया. जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि अगर वह हमारे घटक दल के सदस्य होते, या प्रवक्ता होते, तो हम महत्व देते. राजनीति में आउटसोर्सिंग नहीं होती. हम उनकी बातों का कोई महत्व नहीं देते हैं. हमारी पार्टी का जो विचार है, वह हम 10-12 दिल पहले सार्वजनिक फ्रंट पर रख चुके हैं. गौरतलब हो कि बिहार में विधानमंडल के सत्र शुरू होने को लेकर सभी पार्टियों ने बैठक बुलायी है. जदयू नेताओं के इशारों को देखें, तो यह कहा जा रहा है कि नीतीश कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. ऊपर से, शिवानंद तिवारी का यह बयान काफी मायने रखता है.राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राजद नेताओं के अति विश्वास में आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि 243 सदस्यों वाली विधान सभा में राजद के 80, कांग्रेस के 27, जदयू के 71 और भाजपा के 53 विधायक हैं. भाजपा के सहयोगियों के पांच विधायक हैं. सदन में बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन होना चाहिए. जानकारों की मानें, तो अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाते हैं, तो लालू यादव साम, दाम, दंड भेद से 15 विधायक अपने पाले में कर सकते हैं और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना लेंगे. अंदर की खबर है कि बिहार के सीमांचल से जदयू के कई विधायक पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं, जिनकी संख्या 20 के करीब बतायी जा रही है. कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता. सत्ता के लिए स्वार्थ के गठबंधन होते हैं. बिहार की राजनीति में भी कुछ ऐसा घटे, इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.जानकारों की इस बात पर हाल के घटनाक्रम की मुहर भी स्पष्ट दिख रही है. जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने तेजस्वी का खुलकर बचाव किया है. शरद यादव का बयान सामने आने के बाद भी नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. शरद यादव ने गत वर्ष ही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ा है और वह लगातार महागठबंधन के समर्थन में बयान दे रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का विरोध जिन प्रदेशों के अध्यक्ष ने किया, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जानकार, कहते हैं कि शरद यादव खुलकर लालू का समर्थन कर रहे हैं. उधर, लालू अकेले जीतन राम मांझी और मायावती पर राजनीतिक डोरे डाल रहे हैं. मायावती को राज्यसभा भेजने की बात कहकर. उन्होंने दलितों का दिल जीतने की कवायद शुरू कर दी है. मांझी व मायावती का राष्ट्रव्यापी जनाधार कुछ नहीं है, लेकिन भाजपा की दलितों के बीच बढ़ती पैठ को तोड़ने के लिए लालू अभी से अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं.
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