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भारत ने तुर्की को उसी के अंदाज में दिया कूटनीतिक जवाब, कश्मीर पर दिया था पाकिस्तान का साथ

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कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने वाले तुर्की को भारत ने आज उसे उसी के अंदाज में कूटनीतिक जवाब दिया है। तुर्की की तरफ से पूर्वोत्तर सीरिया में कुदरें के इलाकों में किये जा रहे हमले पर भारत ने न सिर्फ कड़ा ऐतराज जताया है बल्कि उसे सीरिया के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करार दिया है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि तुर्की के इस हमले की पाकिस्तान ने जायज ठहराया है और इसे तुर्की का आतंरिक मामला करार दिया है।
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महाधिवेश में तुर्की ने पाकिस्तान के रूख का समर्थन किया था। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपने भाषण में कश्मीर का उल्लेख किया था। गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ‘भारत तुर्की की तरफ से सीरिया के एक हिस्से में किये जा रहे अकारण सैन्य कार्रवाई से काफी चिंतित है। तुर्की की इस कार्रवाई से उस इलाके में स्थिरता पर काफी उल्टा असर पड़ेगा और यह आतंकवाद के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के खिलाफ है। इससे बड़ा मानवीय संकट पैदा होने का भी खतरा है। हम तुर्की से आग्रह करते हैं कि वह थोड़ा संयम बरते और सीरिया की भौगोलिक संप्रभुता और अखंडता का आदर करे। हम सभी मामलों का शांतिपूर्ण बातचीत से सुलझाने का भी आग्रह करते हैं।’
हमले को पाकिस्तान ने ठहराया जायज
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में तुर्की की कार्रवाई की खूब प्रशंसा की गई है। इसमें कहा गया है कि ‘पाकिस्तान की तरफ से तुर्की भी आतंकवाद का शिकार देश है। तुर्की अपने इलाके में शांति बहाली की कोशिश कर रहा है और उसे अपने क्षेत्र में शांति स्थापित करने का पूरा अधिकार है।’
तुर्की ने ऐतिहासिक रिश्तों का लिहाज भी नहीं किया
दरअसल, कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन चीन, मलयेशिया के अलावा तुर्की भी कर रहा है। तुर्की ने भारत के साथ ऐतिहासिक रिश्तों का लिहाज रखना भी बंद कर दिया है और उसी भाषा में बात कर रहा है जो पाकिस्तान को पसंद है।
भारत से न करें सहयोग की उम्मीद
सूत्रों का कहना है कि भारत ने अब यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि तुर्की भी भारत से अब ज्यादा कूटनीतिक सहयोग की उम्मीद नहीं करे। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब तुर्की के हमले का मुद्दा उठेगा तो निश्चित तौर पर भारत का रुख उसके समर्थन वाला नहीं होगा। साथ ही कुर्द अल्पसंख्यकों के इलाकों पर लड़ाकू विमानों से हमला करने से कश्मीर मसले पर तुर्की का दोहरापन सामने आ गया है। एक तरह वह दूसरे देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति का रोना रोता है, लेकिन दूसरी तरफ एक दूसरे देश के अल्पसंख्यकों के इलाकों पर भी हमला करता है।
हमले के बाद शहर झोड़ रहे हैं नागरिक
बताते चलें कि तुर्की पिछले दो दिनों से पूर्वोत्तर सीरिया के उस इलाके पर जबरदस्त हमला किया है और वहां से बड़ी संख्या में नागरिकों के मारे जाने की सूचनाएं सामने आ रही है। वहां के नागरिक शहर छोड़ कर दूसरे देश की तरफ भाग रहे हैं। इससे एक तरफ तो इस्लामिक आतंकवाद को नए सिरे से बढ़ावा मिलने की बात कही जा रही है वहीं इससे मानवीय संकट भी पैदा होने की बात कही जा रही है। दुनिया भर के देशों में तुर्की के इस रवैये की निंदा की जा रही है।

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