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भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के कगार पर

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जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी का गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया है। सरकार बनाने के मुद्दे पर राज्यपाल से मांगे गए दस दिनों की समय सीमा समाप्त होने के बाद दोनों दल अलग अलग रास्ते चुन सकते हैं।
भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह दोनों दलों के बीच साल भर पहले बनाए गए सरकार चलाने के साझा एजेंडा पर कायम है और पीडीपी की किसी नई शर्त को नहीं मानेगी। प्रधानमंत्री या पार्टी अध्यक्ष के स्तर पर भी भाजपा अपनी तरफ से महबूबा मुफ्ती से कोई बात नहीं करेगी।इस बीच महबूबा मुफ्ती ने अपनी शर्तो को साफ करते हुए कहा है कि कोई सरकार हवा में नहीं बनती है और केंद्र सरकार को राज्य में राजनीतिक स्तर पर विश्वास बहाली का माहौल बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
भाजपा नेतृत्व ने शुक्रवार को महबूबा मुफ्ती के पीडीपी कार्यकर्ताओं के बीच दिए गए भाषण को गंभीरता से लिया है। पार्टी का कहना है कि जिस तरह से पीडीपी अपने नेता नहीं चुन रही है और महबूबा मुफ्ती जो भाषा बना रही हैं उससे साफ है कि वे भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने से दूरी बना रही है। भाजपा अपनी तरफ से गठबंधन तोड़ने की कोशिश नहीं करेगी।
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि पहला कदम महबूबा का होगा और उसके बाद दूसरी कदम भाजपा का। सरकार बनाने के मुद्दे पर राज्यपाल से मांगे गए दस दिन की समय सीमा समाप्त होने पर भी पहले महबूबा को ही अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। भाजपा अपनी तरह से गठबंधन नहीं तोड़ेगी। साथ ही वह इसे टूट से बचाने के लिए पीडीपी की कोई नई शर्त भी नहीं मानेगी।पीडीपी के मंसूबों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने बातचीत की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश के नेताओं तक सीमित कर दी है। पार्टी ने संकेत दिए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तो कोई बात करेंगे ही नहीं, जम्मू कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव को भी इससे दूर कर लिया गया है। सरकार न बनने की स्थिति को देखते हए राज्यपाल एन एन वोहरा ने भी गुरुवार को शासन चलाने के लिए दो सलाहकारों की नियुक्ति कर दी है।सूत्रों के अनुसार पीडीपी के साथ रिश्ता टूटने के बाद भाजपा सरकार बनाने के दूसरे विकल्प व नए चुनाव दोनों के लिए तैयार है। वह नेशनल कांफ्रेंस के साथ भी बात कर सकती है, लेकिन उसमें भाजपा बराबरी से कम स्वीकार नहीं करेगी।
जम्मू-कश्मीर मामले में भाजपा के कड़े रुख के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी अहम भूमिका है। सूत्रों के अनुसार बीते साल पीडीपी के साथ सरकार बनाने के लिए किए गए समझौते से भी संघ ज्यादा खुश नहीं था। संघ के एक प्रमुख नेता का कहना है मुफ्ती मोहम्मद सईद की बात अलग थी, महबूबा पूरी तरह से अलगाववादियों के दबाब में हैं और विश्वास बहाली का नया मुद्दा भी उन्हीं की भाषा है। ऐसे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

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