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ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में कारगर है टारगेट थेरेपी

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कैंसर के इलाज के लिए नये तरीके ईजाद किये जा रहे हैं. हालांकि, ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट के लिए टारगेट थेरेपी को सबसे कारगर माना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार टारगेट थेरेपी के साइड इफेक्ट अन्य थेरेपी के मुकाबले काफी कम है. चूंकि कैंसर के ट्रीटमेंट में इस्तेमाल किये जानेवाले पुराने तरीकों (सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी) में साइड इफेक्ट अधिक हैं. टारगेट थेरेपी में साइड इफेक्ट बहुत कम होते हैं.
इसमें दवाइयों की डोज ब्रेस्ट कैंसर के स्तर को देख कर निर्धारित की जाती है. हालांकि, यह थेरेपी शुरुआती दो स्टेजों में अधिक कारगर है. तीसरे-चौथे स्टेज में अन्य थेरेपी की मदद भी लेनी पड़ती है.
बरतें ये सावधानी : कैंसर को अपने पूर्ण रूप में आने के लिए करीब एक वर्ष का समय लगता है. यदि हम अपने शरीर के प्रति जागरूक हो, तो शुरुआती स्टेज में इसे डिटेक्ट कर इलाज किया जा सकता है. प्राथमिक स्तर पर कैंसर का इलाज सरल है. पीरियड के बाद ब्रेस्ट परीक्षण जरूरी है.
खान-पान का रखें ख्याल : प्रोसेस्ड मीट का सेवन न करें. खाने में संतुलित और पौष्टिक आहार लें. अच्छे काॅस्मेटिक प्रोडक्ट का उपयोग करें. कॉस्मेटिक के केमिकल्स के कारण हॉर्मोनल चेंज होते हैं.
इससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. अत्यधिक जरूरी हो, तभी कराएं रेडिएशन टेस्ट जैसे सीटी स्कैन व एक्स-रे. इससे टिश्यू में रेडिएशन फैलने का खतरा होता है. मां बनने पर नवजात को कम-से-कम एक साल और दो साल तक ब्रेस्ट फीड करा सकती हैं. इससे शरीर में एस्ट्रोजन हाॅर्मोन का संतुलन बना रहता है. वेट कंट्रोल करना भी जरूरी है. शरीर को एक्टिव रखने के लिए मॉर्निंग वॉक या योग करें. आठ घंटे की नींद जरूर लें. धूम्रपान और शराब से दूर रहें.

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