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बिहार में पूर्ण शराबबंदी के अध्ययन को आयी कर्नाटक की टीम

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देश में नजीर बनी बिहार की पूर्ण शराबबंदी को दूसरे राज्य भी अपने यहां लागू करना चाहते हैं. इसका अध्ययन करने के लिए कर्नाटक राज्य टेंपरेंस बोर्ड की 31 सदस्यीय टीम बिहार आयी हुई है.
कर्नाटक टेंपरेंस बोर्ड के अध्यक्ष एचसी रुद्रप्पा समेत टीम के सभी सदस्यों ने गुरुवार को 1, अणे मार्ग स्थित संकल्प में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने उन्हें शराबबंदी अभियान और इसके पीछे निहित बिहार सरकार की सामाजिक बदलाव नीति के बारे में विस्तार से बताया. कर्नाटक से आये प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के शराबबंदी और नशामुक्ति के संबंध में लिये गये साहसिक निर्णय की प्रशंसा की.
इसके अलावा मुख्य सचिवालय में कर्नाटक के प्रतिनिधियों के सामने उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव की मौजूदगी में शराबबंदी से संबंधित पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया गया. उन्हें श्री यादव ने बताया कि नफा-नुकसान देखकर शराबबंदी को लागू नहीं किया जा सकता. बिहार ने इसे लागू किया है. इससे बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है.
कर्नाटक राज्य टेंपरेंस बोर्ड के चेयरमैन एचसी रूद्रप्पा ने बताया कि बिहार सरकार ने यहां लागू पूर्ण शराबबंदी की विस्तृत जानकारी दी है. हम इसकी जानकारी अपनी सरकार और मुख्यमंत्री को देंगे. 31 सदस्यीय टीम शुक्रवार को स्पॉट जांच करेगी और वहां से सूचना संगृहीत कर रिपोर्ट तैयार करेगी. इससे भी वह अपनी राज्य सरकार को अवगत करायेगी.
सचिवालय में बिहार में लागू शराबबंदी के कानूनी और सामाजिक सभी पहलुओं से कर्नाटक की टीम को अवगत कराया गया. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कानूनी पहलुओं के साथ जनजागरण, शराब की बुराइयों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान और मानव शृंखला की जानकारी दी और बताया कि शराब से प्राप्त होने वाले राजस्व की भरपाई कैसे की गयी.
साथ ही उन्होंने शराबबंदी और नशामुक्ति लागू करने से संबंधित सदस्यों के सभी प्रश्नों का तर्कसंगत जवाब भी दिया. आर्थिक अपराध इकाई की ओर से शराबबंदी से राज्य में अपराध, हिंसा और सड़क हादसे में आयी कमी का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए मद्य निषेध अधिनियम के तहत की जा रही कार्रवाई की जानकारी दी गयी.
बैठक में गृह, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभागों के प्रधान सचिवों के अलावा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, आर्थिक अपराध इकाई, आद्री, जनशिक्षा निदेशालय, जीविका और स्वास्थ्य विभाग की ओर से नीति के कार्यान्वयन और इसकी सफलता का प्रदर्शन किया गया.
बिहार : सामाजिक बदलाव के बिना विकास का कोई मतलब नहीं : नीतीश
शराबबंदी का अध्ययन करने आये कर्नाटक के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सामाजिक बदलाव के बिना विकास का कोई मतलब नहीं होता है.
बिहार में शराबबंदी का समाज में लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. लोगों के रहन-सहन से लेकर सामाजिक स्तर में भी बदलाव आया है. खाने-पीने की चीजों समेत फर्नीचर, रेडिमेड कपड़े की बिक्री बढ़ गयी है और सड़क हादसों व अपराध में कमी आयी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी एक सामाजिक जनआंदोलन है. पूर्ण शराबबंदी से राज्य के खजाने में भले ही पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन बिहार के 10 हजार करोड़ रुपये, जो लोग शराब में गंवा रहे थे, आज वे बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि शराबबंदी और नशामुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी, 2017 को दुनिया की सबसे बड़ी मानव शृंखला बनी, जिसमें चार करोड़ से ज्यादा लोगों की भागीदारी रही.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद अब दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ व्यापक जन चेतना को जगाना है. इसके लिए सबको मिल कर काम करना होगा, ताकि इस कुरीति को जड़ से मिटाने में सफलता मिले. पहले बिहार में गरीब और वंचित तबका अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा शराब और अन्य नशीली पदार्थों पर खर्च कर देता था, लेकिन अब स्थिति बदल गयी है और वे लोग अब जरूरत की चीजों पर खर्च करने लगे हैं, जिनसे उनको भरपूर बचत हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून तोड़ने वाले हर जगह हैं और बिहार में भी शराब के अवैध कारोबार में लगे ऐसे लोगों पर सख्त नजर रखी जा रही है और ऐसे लोगों से सख्ती से निबटा जा रहा है.
हाल ही में हुई जहरीली शराब की घटना के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की गयी. जनवरी में बनी मानव शृंखला के तर्ज पर 21 जनवरी, 2018 को भी मानव शृंखला बनेगी, जो शराबबंदी, नशामुक्ति के साथ-साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध होगी. मुलाकात के दौरान मद्य निषेध, उत्पाद व निबंधन के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी और मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा मौजूद थे.

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