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बिहार में कृषि वानिकी के जरिये बढ़ाई जायेगी किसानों की आमदनी : सुशील मोदी

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बिहार के उपमुख्यमंत्री सह पर्यावरण और वन मंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि कृषि वानिकी के जरिये प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाई जायेगी. पटना में आज जल के अभाव वाले क्षेत्र में कृषि वानिकी पर आयोजित दो दिवसीय एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि कृषि वानिकी के जरिये प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाई जायेगी. अगले पांच साल में उत्तर बिहार में 1.5 करोड़ पोपुलर (चिनार) और पूरे बिहार में 3.80 करोड़ गैर पोपुलर प्रजाति के पौधों का रोपण किया जायेगा.
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री का भी 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी नीति 2014 की तर्ज पर बिहार के लिए 2018 में एक अलग कृषि वानिकी नीति बनेगी. उन्होंने कहा कि बिहार में 2011 में मात्र 9.79 प्रतिशत हरित क्षेत्र था जो 2017 तक बढ़ कर 15 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा कि दूसरे कृषि रोड मैप में अगले 5 साल में इसे बढ़ा कर 17 प्रतिशत करने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि हरियाली मिशन के तहत 2012-17 के बीच 24 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य के सापेक्ष 18.47 करोड़ पौधों का रोपण किया गया.
डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के अंतर्गत 2088 किसानों द्वारा तैयार 4.16 करोड़ पौधे की 6.30 रुपये की दर से खरीद की गयी. पोपुलर (चिनार) के पौधारोपण के लिए तीन साल तक 10-10 और 15 रुपये का अनुदान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही पोपुलर, सेमल, बांस, यूकिलिप्टस, आम, जामुन, अमरुद्ध, एकेसिया जैसी 15 प्रजातियों के पेड़ों के परिवहन को परमिट से मुक्त कर दिया है.
सुशील मोदी ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक हाजीपुर में ई-टिंबर मार्ट लांच कर दिया जायेगा. जहां किसान ई-एप्लिकेशन के माध्यम से अपने तैयार पेड़ों की बिक्री कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि केवल धान-गेहूं के फसल चक्र के जरिए नहीं बल्कि समेकित खेती जिसमें मछली पालन, अंडा उत्पादन, फल व सब्जी तथा कृषि वानिकी अपना कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से किसानों की आमदनी नहीं बढ़ाई जा सकती क्योंकि पूरे देश में उत्पादित मात्र 7 प्रतिशत खाद्यान्न की खरीद ही एमएसपी पर होती है. उन्होंने कहा कि अगले दो साल में बिजली के अलग फीडर से बिहार के किसान खेती करेंगे. डीजल मुक्त खेती से भी उनकी आमदनी बढ़ेगी.

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