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बिहार के 23 जिलों के 206 ब्लाक सूखाग्रस्त घोषित, लगान वसूली पर लगी रोक

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुखाड़ पर हाईलेवल मीटिंग के बाद आज सोमवार को बड़ा निर्णय लिया है. बिहार के 23 जिलों के 206 प्रखण्ड प्रभावित पाए गए हैं. मीटिंग में मौजूद कृषि विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि सूखे की स्थिति के लिये तीन पैमाने निर्धारित किये गये हैं, जिसमें एक खेत की मौलिक स्थिति, दूसरा फसलों के मुरझाने की स्थिति और तीसरा ऊपज में 33 प्रतिशत से कम उत्पादन को आधार बनाया गया है. इस क्रम में आज कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, जल संसाधन सहित कई विभागों ने सूखे से उत्पन्न परिस्थितियों के संबंध में अद्यतन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
मीटिंग के बाद मिली जानकारी के अनुसार इन प्रभावित प्रखण्डों में सुखाड़ से निपटने हेतु दी जाने वाली सहायता राज्य संसाधन से उपलब्ध कराया जायेगा. साथ ही जिलों में किसानों से सहकारिता ऋण, राजस्व लगान एवं सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क जो सीधे कृषि से संबंधित हो, की वसूली वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए स्थगित रहेगी. प्रभावित जिलों में फसल को बचाने, वैकल्पिक कृषि कार्य की व्यवस्था करने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने, पशु संसाधनों का सही रख-रखाव करने इत्यादि के लिए आवश्यकतानुसार व्यवस्था की जाएगी.
कृषि विभाग द्वारा आवश्यकतानुसार फसल की सुरक्षा एवं बचाव के लिए कृषि इनपुट के रूप में डीजल, बीज आदि पर सब्सिडी की व्यवस्था की जायेगी तथा वैकल्पिक फसल योजना तैयार कर उसके सफल क्रियान्वयन हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी. किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलवाने हेतु अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी. इसके अन्तर्गत फसल बीमा से आच्छादित किसानों को कृषि इनपुट सब्सिडी का लाभ भी दिया जायेगा. किसानों को फसल सहायता योजना का लाभ दिया जायेगा. कृषि इनपुट सब्सिडी का लाभ आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा दिया जायेगा. इसके लिए कृषकों को अधिकतम 2 हेक्टेयर की अधिसीमा तक कृषि इनपुट सब्सिडी, एस0डी0आर0एफ0/एन0डी0आर0एफ0 मानदर के अनुरूप अनुमान्य होगा.
जलापूर्ति की व्यवस्था लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा की जाएगी. सूखागस्त क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति हेतु पूर्व में लगाये गये चापाकलों की मरम्मत की जाएगी. आवश्कतानुसार आकलन कर पुराने चापाकलों को और गहरे स्तर तक गाड़े जाने की आवश्यकता होगी. जरूरत के अनुसार नये चापाकल भी लगाये जायेंगे. प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था की जाएगी.
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग यह सुनिश्चित करेंगे कि जिलों में पर्याप्त खाद्यान्न का भंडारण है तथा खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत सभी पात्र परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध हो. सुखाड़ के कारण पशुचारा की तत्कालिक कमी नहीं है, परन्तु कालान्तर में कृषि फसल अवशेष की लगातार कमी के कारण इसके दीर्घकालीन प्रभाव अवश्यंभावी है. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग पशुचारा की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगा.

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