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बढ़ती बेरोजगारी से निपटने मोदी सरकार का बड़ा कदम, दो नई कैबिनेट समितियों का गठन

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मोदी सरकार के शपथ ग्रहण लेने के तुरंत बाद देश में बेरोजगारी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। सरकार ने आज देश में अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए दो नई कैबिनेट समितियों का गठन किया।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आर्थिक विकास और निवेश तथा रोजगार बढ़ाने के लिए नई कैबिनेट समितियों का गठन किया। निवेश और विकास पर आधारित कैबिनेट समिति में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन और राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी और रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं।
रोजगार और कौशल विकास पर एक और 10 सदस्यीय कैबिनेट समिति का गठन किया गया है, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, कृषि और किसान कल्याण मंत्री, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल और उद्यमिता विकास मंत्री महेंद्र नाथ पांडे , राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार और हरदीप सिंह पुरी को शामिल किया गया है।
एनएसएसओ के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 की आखिरी तिमाही में जीडीपी घटने के साथ ही नई सरकार के लिए इकोनॉमी एक बड़ी वजह बन गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान 7.2 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले 6.8 प्रतिशत आंका गया है।
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण लेने के तुरंत बाद देश में बेरोजगारी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। आधिकारिक आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि भारत में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर 6.10 प्रतिशत पर पहुंच गई।
श्रम मंत्रालय ने यह आंकड़ा ऐसे समय जारी किया है जब नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करते हुये मंत्रियों ने पदभार संभाला। मंत्रालय द्वारा जारी इन आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में रोजगार योग्य युवाओं में 7.8 प्रतिशत बेरोजगार रहे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 5.3 प्रतिशत रहा। अखिल भारतीय स्तर पर पर पुरूषों की बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत जबकि महिलाओं के मामले में 5.7 प्रतिशत रही।देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में है। हाल यह है कि सर्वाधिक बेरोजगारी दर वाले देश के दस शहरों में यूपी के पांच शहर शामिल हैं। बेरोजगारी दर के मामले में पूरे देश में मेरठ दूसरे और पुणे तीसरे स्थान पर है। इन शहरों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। वहीं सबसे कम बेरोजगारी दर महाराष्ट्र के वसई-विरार और गुजरात के राजकोट में है। इसी तरह एनसीआर में सबसे कम बेरोजगारी दर फरीदाबाद में हैं।
यह खुलासा सरकारी संस्था एनएसएसओ के ‘पीरिओडिक लेबर फोर्स सर्वे’ में हुआ है। यह सर्वे जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच हुआ था और इसकी रिपोर्ट 31मई को जारी की गयी है। इस सर्वे में दस लाख से अधिक आबादी वाले 45 शहरों में बेरोजगारी दर की सूची दी गयी है। इसे देखने पर पता चलता है कि दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सर्वाधिक 8.9 प्रतिशत बेरोजगारी दर इलाहबाद में है जबकि 8.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ मेरठ दूसरे नंबर पर और 7.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ पुणे तीसरे नंबर पर है।
इसी तरह महाराष्ट्र का पिंपरी-चिंचवाड शहर चौथे, राजस्थान का कोटा पांचवे, यूपी का कानपुर सातवें, गाजियाबाद आठवें, धनबाद नौवें, लखनऊ नौवें और पटना दसवें स्थान पर है। एनएसएसओ की 45 शहरों की इस सूची में यूपी के कुल सात शहर-मेरठ, इलाहबाद, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, वाराणसी और आगरा शामिल हैं। यूपी के सिर्फ दो शहर वाराणसी और आगरा ही ऐसे हैं जहां बेरोजगारी दर अपेक्षाकृत कम है। आगरा में बेरोजगारी दर 2.1 प्रतिशत और वाराणसी में 3.6 प्रतिशत है।
दस लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों की इस सूची में मध्य प्रदेश के तीन शहर-ग्वालियर, भोपाल और इन्दौर शामिल हैं। इन तीनों की शहरों में बेरोजगारी दर काफी कम है। इसी तरह रांची में भी बेरोजगारी दर काफी कम है।
एनसीआर में सबसे कम बेरोजगारी दर फरीदाबाद में 3.3 प्रतिशत है जबकि दिल्ली में यह 3.9 प्रतिशत और गाजियाबाद में 6.3 प्रतिशत है। देश में सबसे कम बेरोजगारी दर 0.1 प्रतिशत महाराष्ट्र के वसई-विरार शहर में है। वसई-विरार के अलावा देश में सिर्फ तीन शहर- राजकोट(0.3), मदुरै(0.6) और नासिक (0.9) ऐसे हैं जहां बेरोजगारी दर एक प्रतिशत से कम है।
अगर पुरुष और महिला बेरोजगारी दर की अलग-अलग बात करें तो 12.9 प्रतिशत पुरुष बेरोजगारी दर के साथ मेरठ पूरे देश में अव्वल है जबकि राजस्थान का कोटा इस मामले में 11.7 प्रतिशत पुरुष बेरोजगारी दर के साथ दूसरे नंबर पर और 11.3 प्रतिशत पुरुष बेरोजगारी दर के साथ इलाहबाद तीसरे नंबर पर है। हालांकि इन शहरों में महिला बेरोजगारी दर अपेक्षाकृत कम है।
दस लाख से अधिक आबादी वाले 45 शहरों में बेरोजगारी दर
शहर बेरोजगारी दर(प्रतिशत)
इलाहाबाद 8.9
मेरठ 8.5
पुणे 7.5
पिम्परी चिंचवाड 7.4
कोटा 6.8
कानपुर 6.6
गाजियाबाद 6.3
धनबाद 6.0
लखनऊ 5.9
पटना 5.6
ग्रेटर हैदराबाद 5.3
श्रीनगर 5.2
कोयंबटूर 4.5
रायपुर 4.4
चेन्नई 4.4
दिल्ली 3.9
कोलकाता 3.9
ग्रेटर विशाखापत्तनम 3.8
बेंगलुरु 3.7
अमृतसर 3.6
वाराणसी 3.6
ग्रेटर मुंबई 3.6
फरीदाबाद 3.3
अहमदाबाद 3.3
वडोदरा 3.3
कल्याण-डोंबिवली 3.2
विजयवाड़ा 3.2
लुधियाना 2.8
ठाणे 2.8
औरंगाबाद 2.7
अमृतसर 2.6
ग्वालियर, 2.4
भोपाल 2.4
आगरा 2.1
रांची 2.1
हावड़ा 1.9
जयपुर 1.7
नवी मुंबई 1.7
इंदौर 1.6
नागपुर 1.6
वडोदरा 1.1
नासिक 0.9
मदुरै 0.6
राजकोट 0.3
वसई-विरार शहर 0.1

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