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फर्जी दस्तावेज के आधार पर लिया बैंक से कर्ज, तो 30 साल रहना होगा जेल के अंदर

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बिहार की राजधानी पटना में स्थित सीबीआई की अदालत ने बैंक लोन के एक मामले में कठोर फैसला सुनाकर वैसे लोगों को सख्त संदेश दिया है, जो फर्जी कागजात के आधार पर बैंक से कर्ज लेते हैं. वैसे लोगों के लिए यह फैसला नजीर बनने जा रहा है, जो यह सोचते हैं कि उन्होंने बैंक को चूना लगा दिया. पटना स्थित सीबीआई अदालत ने वर्ष 2015 में अरवल जिला के उसहरी गांव स्थित मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की एक शाखा से फर्जी दस्तावेज के आधार पर पावर टिलर खरीद के लिए 54.32 लाख रुपये का लोन लेने वाले एक व्यक्ति को ,सोमवार को 30 साल कारावास और 54.72 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी.
जानकारी के मुताबिक विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह ने इस मामले में अरवल जिले के शेखपुरा गांव निवासी सुधीर को अलग अलग धाराओं के तहत 30 साल की सजा सुनायी और कुल 54.72 लाख रुपये जुर्माना लगाया. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि दोषी अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करे तो उसे उनकी संपत्ति से वसूला जाये. ज्ञात हो कि, कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें बैंकों के समक्ष जमीन और खुद की जानकारी से संबंधित गलत दस्तावेज देकर लाखों रुपये के लोन ले लिए जाते हैं और उसके बाद बैंक को बाद में इस धोखे का पता चलता है.केसीसी ऋण घोटाला उजागर होने के बाद बैंक कर्मी सहित कुल आठ लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. आवेदन में 53 मजदूरों ने हस्ताक्षर किया है.
चौथम : स्टेट बैंक बलुआही शाखा में करोड़ों के केसीसी ऋण घोटाला उजागर होने के बाद आठ लोगों के खिलाफ चौथम थाना में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है. ठगी के शिकार मजदूरों के बयान के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में बैंक कर्मी से लेकर बिचौलिये तक शामिल हैं. पुलिस कविता देवी नामक एक महिला को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. ठगी के शिकार मजदूर रंजन मिस्त्री के आवेदन पर थाना में दर्ज कांड संख्या 91/17 के तहत बैंक कर्मी सहित ऋण दिलाने वाले गिरोह के दलालों सहित कुल सात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. आवेदन में 53 मजदूरों ने हस्ताक्षर किया है.
थानाध्यक्ष सुनील कुमार सहनी ने बताया कि बैंक ऋण फर्जीवाड़ा रैकेट में शामिल होने के आरोप में जयप्रभानगर निवासी कविता देवी पुलिस गिरफ्त में है. पुलिस महिला से सघन पूछताछ कर रही है. पूछताछ में केसीसी ऋण घोटाला के बारे में कई अहम सुराग पुलिस के हाथ लगे हैं. जिसके आधार पर पुलिस गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों को दबोचने में जुट गयी है. जल्द ही अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी कर ली जायेगी.
मालूम हो कि केसीसी ऋण के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी को लेकर सैकड़ों पीड़ित मजदूर शनिवार को सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन
किया था.
इन पर हुई प्राथमिकी
कविता देवी : जयप्रभा नगर
रुपेश सिंह : मरांच
घोलट सिंह : मरांच
चंदन सिंह : मरांच
विनोद सिंह : एसबीआई फिल्ड ऑफिसर
पंकज सिंह : बैंक लिपिक
मनोज सिंह : बैंक लिपिक
पूर्व शाखा प्रबंधक : एसबीआई बलुआही शाखा
खाता खुलवाने में 3000 रुपये रिश्वतखोरी
चौथम एवं बेलदौर प्रखंड के कई गांव के मजदूरों से बैंक ऋण दिलाने वाले गिरोह के लोगों ने लोन का खाता खुलवाने के एवज में तीन हजार रुपये अवैध वसूली की गयी. 50 हजार ऋण का बैंक खाता खुलवाने के लिये आधार कार्ड, वोटर आई कार्ड, फोटो आदि सहित प्रत्येक मजदूर से 3000 हजार नकद अवैध उगाही की गयी. एसबीआई की बलुआही शाखा के बैंककर्मी व बिचौलिये की मिलीभगत से प्रत्येक मजदूर के नाम से एक लाख 90 हजार रुपये ऋण भी स्वीकृत हो गये लेकिन ऋणधारक के हाथ में एक भी रुपये नहीं आये.
भूमिहीन मजदूरों के नाम भी केसीसी लोन स्वीकृत
बताया जाता है कि कई भूमिहीन मजदूरों के नाम भी केसीसी ऋण स्वीकृत करवा कर फर्जीवाड़ा के सहारे निकासी भी कर ली गयी. बैंकिंग प्रक्रिया के तहत केसीसी ऋण के लिये जमीन की लगान रसीद सहित अंचल से एलपीसी रिपोर्ट के आधार पर बैंक द्वारा छानबीन के बाद ऋण स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है. इतना ही नहीं बैंक में भुगतान प्रक्रिया का सत्यापन सिस्टम के तहत खाताधारी का हस्ताक्षर एवं फोटो मिलान कर पासबुक सहित निकासी परची भुगतान कांउटर पर भेजा जाता है. बैंक कैशियर खाताधारी का चेहरा एवं निकासी राशि के पूछताछ के बाद ही संतुष्ट होने के बाद भुगतान करते हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि सभी मजदूरों को ऋण का भुगतान 20/09/2016 को ही कैसे हो गया? वह भी सभी के खाते से एक समान राशि ही निकासी की गयी है. फर्जीवाड़ा ऋण की चपेट में आये बेलदौर चोढ़ली गांव के एक ही परिवार के साथ सदस्य आ गये हैं. जयप्रभानगर के राधे मिस्त्री, छोटू मिस्त्री, रंजन मिस्त्री, मिथलेश मिस्त्री, गुड़िया देवी के नाम ऋण स्वीकृत हो गया निकासी भी हो गयी लेकिन ऋण धारक को पता भी नहीं चला.

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