प्रकृति से दोस्ती
कृषि / पर्यावरण, कैरियर June 2, 2016पर्यावरण आज वैश्विक स्तर पर चर्चा के केंद्र में है. दुनिया भर में पर्यावरण को लेकर फिक्र बढ़ गयी है. वजहें भी जाहिर हैं, धरती का तापमान तेजी से बदल रहा है. पेड़ काटे जा रहे हैं. जंगल नेस्तानाबूद किये जा रहे हैं. औद्योगिक कचरे से प्रदूषित होकर नदियां सिकुड़ रही हैं. ग्लेश्यिर पिघल रहे हैं, कहीं बाढ़ है, तो कहीं सूखा. इस सबका संबंध पर्यावरण से है.
पर्यावरण आखिर है क्या? वायु, जल, भूमि, मनुष्य, जीव-जंतु, पौधे, सूक्ष्म जीवाणु और उनके मध्य बीच अंतरसंबंध ही पर्यावरण है. एक शब्द में कहें तो, असल में पर्यावरण धरती में जीवन का स्रोत है. इससे संबंधित ज्ञान एवं अध्ययन पर्यावरण विज्ञान के तहत आता है. पर्यावरण के महत्व के प्रति दुनिया की समझ देर से ही सही, पिछले एक, दो दशक में तेजी से बढ़ी है. इसके साथ ही पर्यावरण विज्ञान यानी एनवायर्नमेंटल साइंस एक बेहतरीन कैरियर विकल्प के तौर पर उभरा है.
व्यापक है पर्यावरण िवज्ञान का क्षेत्र
एनवायर्नमेंटल साइंस, भौतिकीय, रासायनिक और जैविक अवयवों के बीच की पारस्परिक क्रियाओं और जीवन पर इनके प्रभाव का अध्ययन है. पर्यावरण विज्ञान का क्षेत्र तीन मुख्य लक्ष्यों में बंटा हुआ है. ये लक्ष्य हैं- एक, यह सीखना कि प्रकृति कैसे काम करती है.
दो, यह समझने का प्रयास करना कि मनुष्य कैसे पर्यावरण के साथ पेश आता है और तीन, यह पता लगाना कि मनुष्य की गतिविधियों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है. मनुष्य किस तरह पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है, इसके निर्धारण के बाद उन तरीकों की खोज करना, जिनसे पता चल सके कि पर्यावरण के साथ कैसा बरताव किया जाना चाहिए और उसके संरक्षण के क्या उपाय हैं.
पर्यावरण विज्ञान के भीतर प्राकृतिक विज्ञान सहित कई अन्य विषय भी शामिल किये गये हैं, मसलन जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान एवं भूविज्ञान आदि. असल में यह एक व्यापक कार्य क्षेत्र है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संरक्षण, जैव वैविध्य, भूजल तथा मृदा, वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, वाहन- प्रदूषण तथा प्लास्टिक जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की जा रही प्रौद्योगिकियों के अध्ययन सहित सामाजिक विज्ञान और मानविकी भी शामिल हैं.
कहां-कहां हैं जॉब के मौके
एनवायर्नमेंटल साइंस महज एनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट, रिसर्च फेलो, रिसर्च असिस्टेंट या प्रोफेसर ही बनने का ही मौका नहीं देता, इसमें एनवायर्नमेंटल बायोलॉजिस्ट, एनवायर्नमेंटल इंजीनियर, एनवायर्नमेंटल मॉडलर, कंजर्वेशन हाइड्रोलॉजिस्ट, फाॅरेस्ट कॉर्बन स्पेशलिस्ट, एनवायर्नमेंटल जर्नलिस्ट, वाइल्ड लाइफ फिल्म मेकर, एनवायर्नमेंट फोटोग्राफर आदि भी बनने के विकल्प मौजूद हैं. बतौर
एनवायर्नमेंटलिस्ट माइंस, फर्टिलाइजर प्लांट्स, टैक्सटाइल इंडस्ट्री, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, रिफाइनरी, अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट, वाटर रिसोर्स एवं एग्रीकल्चर विभाग, पर्यावरण और वन मंत्रालय, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी, सार्वजनिक संस्थाओं, निजी उद्योगों और फर्मों आदि में जाॅब कर सकते हैं.
एनवायर्नमेंटल साइंस में बीएससी या एमएससी या शॉर्ट टर्म पीजी कोर्स के बाद पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में किसी गैरसरकारी संगठन यानी एनजीओ के साथ जॉब की शुरुआत कर सकते हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काम के मौके मौजूद हैं. यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंट प्रोग्राम (यूएनइपी), अर्थ सिस्टम गवर्नेंस प्रोजेक्ट, इंटर-गवर्नमेंट पैनल अॉन क्लाइमेंट चेंज (आइपीसीसी) आदि के साथ दूतावासों और पर्यावरण से संबंधित अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ काम कर सकते हैं.
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