पौधों के लिए आवश्यक बोरान
कृषि / पर्यावरण December 29, 2016मुख्य रूप से पौधों के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसमें सूक्ष्म तत्वों के समूह में बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है।
बोरान पौधों की कोशिकाओं में घुलनशील रूप में होता है तथा उसकी झिल्ली को मजबूत बनाता है। बोरान तत्व पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषित जल व खनिज लवणों को जाइलम कोशिका के माध्यम से पौधे के सम्पूर्ण अंगों तक पहुंचाता है। अर्थात् बिना बोरान के पौधे अपना जीवन चक्र पूरा नहीं कर सकते साथ ही जीव जन्तुओं का भी जीवन, क्योंकि जन्तुओं का भोजन पौधों पर आश्रित है वही उनका भोजन है।
झिल्ली परम्परागत पादक क्रिया विधि जैसे- फूल में परागण, परागनली का निर्माण, फल व दाना बनाना, पादप हार्मोन्स के उपापचयन एवं पौधे के सभी अंगों तक पहुंचाने का कार्य बोरान तत्व का है।
पौधे में बोरान तत्व की कमी के लक्षण-
– पौधे की जड़ों का विकास विकृत हो जाने से पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है।
– पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, कलियां कम बनती है, फूल और बीज कम बनते हैं।
– फूलों में निषेचन की क्रिया बाधित हो जाती है क्योंकि परागण व परागनली के लिए बोरान आवश्यक तत्व है।
– अधपके फल व फलियां गिरने लगती हैं।
– पौधे के तने और पत्तियों के डंठल पर दरारें पड़ जाती है। कभी-कभी पत्तियों की शिराओं पर भी देखी जा सकती है।
– तना व पत्तियां मोटी होकर टूटने लगती हैं।
– नई कलियां बनना बंद हो जाती हैं, वृद्धि वाला भाग मुरझाने लगता है तथा डायबेक के कारण सूख जाता है।
बोरान पोषक तत्व पूर्ति पर्णीय छिड़काव के द्वारा, ड्रिप के माध्यम से या खेत में बुवाई पूर्व मिट्टी में मिलाकर पूर्ति की जा सकती है। इसलिए मिट्टी की जांच के बाद बोरान का उपयोग करें। ध्यान रहे बोरान की अधिकता भी पौधे पर विषैला प्रभाव डालती है।
बोरान तत्व धान्य फसलों में 2-4 पीपीएम तथा दलहनी फसलों में 26-26 पीपीएम की आवश्यकता होती है। जिसके लिए मल्टीप्लेक्स बोरान 10.5 प्रतिशत, माल्टीबोरिक 17 प्रतिशत, इफको का जल विलेय पत्तियों पर छिड़काव व ड्रिप के माध्यम से उपयोग हेतु बोरान 14.6 प्रतिशत समितियों में उपलब्ध है।
विभिन्न फसलों में बोरान तत्व के कार्य-
फसलों की जड़ों में बोरान की उपस्थिति में दलहनी फसलों की जड़ों में गांठें अधिक बनाती है इससे नत्रजन पोषक तत्व का स्थिरीकरण अधिक होता है।
फलदार पौधे, बेलवाली व अन्य सब्जियों में- बोरान फल और बेलवाली फसलों में सूखा के प्रति पौधों को सहनशील बनाता है तथा इनके फलों में विटामिन-सी की सांद्रता को बढ़ाता है इसलिए बोरान की मात्रा 30 पीपीएम से कम नहीं होना चाहिए। अन्य फसलों जैसे-
आलू में आलू को फटने से बचाता है, और आलू के छिलके को आकर्षक बनाता है जिससे बाजार में अधिक मूल्य मिलता है।
फूलगोभी में फूल को खोखला और भूरा रोग होने से बचाता है तथा उपज बढ़ाता है।
दलहनी फसलों में फलियों में दाने अधिक और सुडोल बनते हैं जिससे उपज में बढ़ोत्तरी होती है।
नींबू में फूल अधिक आते हैं फल झडऩे की समस्या कम हो जाती है।
मक्का में भुट्टे में दाने पूरे भरते हैं तथा पत्तियों का विकास पूरा होता है।
टमाटर में फल फटने को रोकता है तथा पौधे की लम्बाई में बढ़वार अच्छी होती है।
अत: बोरान तत्व का फसल उत्पादन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए तत्व की पूर्ति अवश्य करें और मृदा को उर्वरा बनायें क्योंकि एक पोषक तत्व दूसरे पोषक तत्व की पूर्ति नहीं करता।
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