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पूर्व विधायक, जिनकी नेतागीरी रायफल लूटकर शुरू हुई…!
अपराध, ताज़ा ख़बर, ताज़ा समाचार, बिहार April 4, 2017 , by ख़बरें आप तकदो दिन पूर्व रोहतास जिले के विक्रमगंज में बच्चों की टोली पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर चर्चा में आए पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह इस समय आफत में हैं. हैवानियत की हदें पार करने के बाद अंजाम दिए गए इस कारनामे के आरोपी पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह आदतन कुख्यात अपराधी हैं. उनकी सियासत की इमारत ही गुनाहों की बुनियाद पर खड़ी है. उनकी गोलियों ने मासूम सलेहा खातून नाम की मासूम बच्ची की जान ले ली. इलाजरत सात बच्चों को अभी तक नहीं पता कि विधायक अंकल की उनसे क्या दुश्मनी थी?
पूरे बिहार को हिलाकर रख देने वाली इस कारनामे को उन्होंने रविवार को अंजाम दिया था. इस चर्चित घटना के बाद पुलिस ने पूर्व विधायक के घर से उनके लाइसेंसी रायफल, बन्दूक के अलावा एक एयर राइफल को भी जब्त कर लिया है. सूर्यदेव के अलावा उनकी पत्नी कुसुम देवी, सहयोगी वाहन चालक के साथ साथ धारूपुर निवासी राधेश्याम दुबे व दुआरी निवासी सत्यनारायण सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. मामले के अनुसंधान में पुलिस जुट गयी है.
आदतन अपराधी है सूर्यदेव
रोहतास जिले के अनुमंडल मुख्यालय बिक्रमगंज से सटे तेंदुनी गांव के कुशवाहा परिवार में जन्मे सूर्यदेव 80 के दशक तक बिक्रमगंज में झोलाछाप डॉक्टर के तौर पर पहचाने जाते थे. इसी दौरान उनका झुकाव उग्र वामपंथी संगठन आईपीएफ की तरफ हो गया. आईपीएफ का उस वक्त जिले के उत्तरी हिस्सों में काफी दबदबा हुआ करता था. 80 का दशक बीतते—बीतते सूर्यदेव बड़े नक्सली के तौर पर पहचान पा गए. पुलिस रिकॉर्ड में उनके नाम दर्ज पहला जुर्म सकला रायफल लूट काण्ड था. उस समय जिले की सीमा पर बसे सकला स्थित पुलिस पोस्ट से रायफलों की लूट की गई थी. सूर्यदेव इस मामले में अभियुक्त थे. वहीं से उनके नाम के साथ कुख्यात शब्द जुड़ गया.
जब राख लगाकर उखाड़ ली गईं मूंछें
अपनी खड़ी मूछों के शौक़ीन सूर्यदेव को रायफल लूट काण्ड में पुलिस ने गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद जब पूछताछ में सूर्यदेव ने पुलिस को गंभीरता से नहीं लिया बल्कि धौंस जमाने की कोशिश भी की. इस बात से नाराज होकर तत्कालीन बिक्रमगंज के चर्चित डीएसपी ने न सिर्फ उन्हें थर्ड डिग्री का टॉर्चर दिया बल्कि राख लगाकर उनकी मूंछें भी उखाड़ लीं थी. राइफल लूट काण्ड में काफी दिनों तक जेल में रहे सूर्यदेव वर्ष 1990 के विधान सभा चुनाव में आईपीएफ की टिकट से चुनाव लड़कर 22 हजार के अंतर से चुनाव जीतकर बिक्रमगंज के माननीय हो गए.
10 वर्षों की विधायकी में अधिकारियों की आफत
वर्ष 90 में विधायक बने सूर्यदेव के रुतबे में बढ़ोत्तरी लगातार दूसरी बार 95 में जनता दल से विधायक बनने के बाद ही हुयी. सत्ताधारी दल के विधायक होने के नाते उनके कहने पर अनुमंडल समेत प्रखंडों व थानों में अधिकारियों की पोस्टिंग होने लगी. अधिकारियों का दरबार उनके घर पर ही सजने लगा. अधिकारी चढ़ावा भी चढ़ाने लगे. जो ऐसा नहीं कर सका, उसकी ऐसी की तैसी होने लगी. वर्ष 1999 में बिक्रमगंज के तत्कालीन एक वरिष्ठ अधिकारी ने जब उनकी नाफरमानी की कोशिश की, तो सूर्यदेव ने उसे उसके ही दफ्तर में बंद करके मारा और रोने भी नहीं दिया. उन दिनों ये मामला काफी चर्चित हुआ था. अधिकारियों के दिल में खौफ बैठाकर उनसे मनमाफिक काम करवाये जाने लगे.
सपरिवार दिया था पांच महीने पहले धरना
वर्ष 2000 के चुनाव में मिली पराजय से सड़क पर आये सूर्यदेव के सामने ढेरों चुनौतियां थीं. तब तक जनता दल से टूट कर राजद और जदयू जन्म ले चुकी थीं. राजद से मिली उपेक्षा से आहत सूर्यदेव ने जदयू ज्वाइन कर ली. अक्सर चुनावों में पार्टी टिकट के दावेदार सूर्यदेव अपने खून से रंगे हुए काले इतिहास के कारण हमेशा पिछड़ते रहे. फिर भी स्थानीय स्तर पर होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करके इलाके में अपनी हनक जमाए रहे.
जोड़—तोड़ कर उन्होंने कुछ समय पहले तक अपने घर पर सरकारी खर्च पर हाउस गार्ड रखा. बीते अक्टूबर महीने में पारिवारिक संपत्ति को लेकर हुए बंटवारे को लेकर सूर्यदेव का पारिवारिक विवाद हुआ. विवाद के निपटारे के लिए सूर्यदेव थाने से लेकर अनुमंडल कार्यालय तक के चक्कर लगाने लगे. उन्हें कहीं भी उन्हें भाव नहीं मिला. सूर्यदेव ने बीते 12 नवम्बर को पत्नी और बच्चों के साथ बिक्रमगंज थाना परिसर में ही धरना दे दिया. इस बीच शासन—प्रशासन ने उनकी हरकतें देखकर उनके हाउस गार्ड हटा लिए.
हाउस गार्ड हटने से बढ़ी खीझ
उनके करीबी लोग बताते हैं कि हाउस गार्ड हटने के बाद से सूर्यदेव सिंह भारी तनाव में थे. गुस्सा इस कदर बढ़ गया था कि घर के नौकर बात करने से भी कतराने लगे थे. धरने के वक्त लोगों ने उन्हें टेलीफोन पर बात करते सुना था कि कुछ लोग जान के दुश्मन बनकर उनकी हत्या की साजिश रचना चाहते हैं. वर्षों से मिले उनके हाउस गार्ड को हटा दिया गया है. उनकी जमीन पर बिना नक्शा पास करवाए कब्जा हो रहा है जिसे प्रशासन रोक नहीं रहा है. माना जा रहा है कि बच्चों पर गोलियां की बौछार उनकी इसी खीझ का नतीजा थी.
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