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पूरी फौज भी भारत को आतंकियों से नहीं बचा सकती: फारुख अब्दुल्ला

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारख अब्दुल्ला ने शनिवार को एक और विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती से कोई हल नहीं निकलेगा। पूरी फौज भी राज्य में झोंक दी जाए तो भी सरकार हमें आतंकवादियों से बचा नहीं सकती।इससे पहले शुक्रवार को फारुख ने कहा था कि न तो भारत में इतना दम है कि वह पाकिस्तान से गुलाम कश्मीर वापस ले सके और न ही पाकिस्तान में इतनी ताकत है कि वह भारत से जम्मू-कश्मीर छीन सके। उन्होंने शनिवार को पीओके पर संसद के प्रस्ताव को अप्रसांगिक बताते हुए सवाल किया कि आज तक गुलाम कश्मीर को वापस लेने के लिए क्या कार्रवाई की गई।
उन्होंने कहा कि कश्मीर मसले के हल का रास्ता बातचीत से निकाला जाना चाहिए। नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने यह कभी दावा नहीं किया कि उनका फार्मूला अंतिम है। अगर किसी के पास इससे बेहतर फार्मूला है तो वह उसे सामने रखे, बशर्ते वह भारत-पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर की जनता तीनों को स्वीकार्य हो। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच शीर्षस्तर की मुलाकात से पहले जनता से जनता के बीच संपर्क बढ़ाकर मेलजोल से राह आसान करने की वकालत की। उन्होंने इसके लिए एक समूह बनाने का आह्वान किया।
फारुख ने कहा, अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है और उसे सिर्फ अपना हथियार बेचना है। जबकि नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जरूर हैं, लेकिन ताकत सेना के पास हैं। सेना ने वहां के लोगों को डरा रखा है कि दुश्मन हिन्दुस्तान से वही बचा सकती है। उन्होंने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों की सराहना की। पीडीपी को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को उकसाने वाले आज हुकूमत में हैं।भाजपा ने पीओके को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाले बयान को लेकर डॉ. अब्दुल्ला से माफी की मांग की है। पार्टी के प्रवक्ता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि फारुख राजनीतिक वापसी के लिए सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं, इसीलिए ऐसी बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फारुख के पिता शेख अब्दुल्ला ने भी जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय पर मुहर लगाई थी।

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