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पीने का पानी और शौचालय सभी को-नीतीश कुमार

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राज्य में सभी परिवारों को शुद्घ पीने का पानी और हर घर में शौचालय के निर्माण का लक्ष्य हासिल करने की पहल राज्य सरकार ने कर दी है। इस लक्ष्य को हर हाल में हासिल करने का टास्क मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) को सौंपा है।बुधवार को पीएचईडी की समीक्षा बैठक में उन्होंने इस लक्ष्य से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार मॉडल तैयार कर 15 जनवरी तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि क्रियान्वयन की रणनीति की भी समीक्षा होनी चाहिए ताकि मिशन मोड में काम हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्घ पीने के पानी की आपूर्ति तथा शौचालय निर्माण योजना के लिए विभाग में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। सभी पहलुओं पर विचार करते हुए यदि संरचना के स्तर पर परिवर्तन अथवा ढांचागत परिवर्तन की जरूरत हो तो उस पर भी विचार कर प्रस्ताव तैयार करें।
नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव में उतरने से ठीक पहले अपने सात निश्चयों का ऐलान किया था। इनमें खुले में शौच मुक्त बिहार के लिए हर घर में शौचालय व हर गांव को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना भी शामिल है। नई सरकार बनते ही इस पर अमल शुरू हो गया है।सीएम ने कहा कि ‘खुले में शौच से मुक्त’ बिहार निर्माण के सपने को साकार करना है। ‘लोहिया स्वच्छ बिहार’ अभियान चलाकर शौचालय विहीन घरों में शौचालय का निर्माण कराया जएगा। लोगों में जागरूकता आई है, परन्तु और अधिक जागरूक लाने की जरूरत है, ताकि लोग जलापूर्ति और शौचालय निर्माण योजनाओं से जुड़ सकें।
नए मॉडल के प्रस्ताव में जन सहभागिता पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत उन्होंने बताई, जिससे अधिक सरलता से लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए भी जागरूक करने पर जोर दिया ताकि शुद्घ पेयजल का सदुपयोग हो सके।बैठक में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, प्रधान वित्त सचिव रवि मित्तल, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार और अतीश चन्द्रा के अलावा विभाग की सचिव अंशुली आर्या सहित सभी संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।
– 2015-16 में 27 लाख शौचालय बनाने का है लक्ष्य
– 01 लाख के अधिक शौचालय बनाए जा सके इस वर्ष
-1. 64 करोड़ शौचालय बनाने हैं 2019 तक राज्य में
-06 लाख परिवारों को शौचालय के लिए जमीन नहीं है

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